लखनऊ। केजीएमयू के डॉक्टरों ने एक सिपाही को नया जीवन दिया है। सिपाही के फेफड़े में दिल के आकार से भी बड़ा ट्यूमर था। डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर उसे निकालने में कामयाबी हासिल की है। जटिल ऑपरेशन के बाद मरीज को नई मुस्कान मिली है। डॉक्टरों के मुताबिक ट्यूमर का आकार बड़ा होने के नाते मरीज के दिल पर दबाव बढ़ रहा था और दिल को काम करने में दिक्कत हो रही थी।
इलाहाबाद के सुलेमपुर निवासी पवन कुमार (24) पुलिस विभाग में सिपाही है। करीब तीन साल पहले उन्हें सांस लेने में तकलीफ शुरू हुई थी। तेज चलने और वजन उठाने पर पवन की सांस फूलने लगती थी। परिवारीजनों ने स्थानीय अस्पतालों में दिखाया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
सीटी स्कैन से पकड़ा मर्ज
अप्रैल में परिजन मरीज को लेकर केजीएमयू पहुंचे। यहां जनरल सर्जरी विभाग के डॉ. सुरेश कुमार ने मरीज को भर्ती कर इलाज शुरू किया। एक्सरे व सीटी स्कैन जांच में फेफड़े के ट्यूमर का पता चला। चिकित्सा विज्ञान में इस ट्यूमर को हर्माटोमा कहते हैं जो दुलर्भ प्रकार का ट्यूमर है। डॉ. सुरेश ने बताया कि ट्यूमर इतना बड़ा था कि इलाज में अगर देरी होती तो यह फट सकता था। वहीं फेफड़े व दिल पर दबाव भी लगातार बढ़ रहा था।
चार घंटे चली सर्जरी, 20 हजार खर्च
डॉ. सुरेश ने बताया कि फेफड़े के भीतर और दिल से नजदीक होने की वजह से यह खतरनाक होता है। 29 अप्रैल को सर्जरी कर छाती के दाहिनी तरफ चिपके ट्यूमर को निकाला गया। सर्जरी चार घंटे चली। इसमें करीब 20 हजार रुपया खर्च हुआ। प्राइवेट में इसका खर्च करीब पांच लाख रुपया आता है।
ये थीं मुश्किलें
डॉक्टर ने कहा कि ट्यूमर फेफड़े के भीतर हिस्से में था। वहां तक उपकरण पहुंचाना कठिन था। फेफड़े की अहम कोशिकाओं, नसों के कटने का खतरा था। इसके अलावा ट्यूमर के फटने की आशंका भी थी। अगर ट्यूमर फट जाता तो सडऩ व निमोनिया का खतरा हो सकता था।
ये थी ऑपरेशन करने वाली टीम
सर्जरी विभाग के डॉ. सुरेश कुमार, डॉ. संजीव कुमार, डॉ. निशांत, डॉ. मेरी, एनस्थीसिया विभाग की डॉ. ज्योत्सना अग्रवाल, डॉ. अंशू, स्टाफ नर्स फैजान व अन्य पैरामेडिकल स्टाफ।