लखनऊ। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत मातृ मृत्यु दर में कमी लाने के उद्देश्य से नवजात और मां की सेहत का ध्यान रखने के लिए अब 15 माह तक मां व बच्चे की देखभाल करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा होम बेस्ड न्यू बोर्न केयर फॉर यंग चाइल्ड (एचबीवाईसी) कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है।
यह है उद्देश्य
इसके अंतर्गत शिशुओं का समुचित विकास एवं पोषण सुनिश्चित करने के लिए 42 दिन के पश्चात शिशु की आयु 3, 6, 9, 12 व 15 माह होने पर आशा द्वारा अतिरिक्त त्रैमासिक गृह भ्रमण की व्यवस्था की गयी है। इन गृह भ्रमणों का मुख्य उद्देश्य छोटे बच्चों के पोषण स्तर में सुधार, समुचित विकास और बाल्यावस्था में होने वाली बीमारियों जैसे डायरिया और निमोनिया और उनके कारण होने वाली मौतों से उनका बचाव करना है।
एचबीएनसी चलाया जा रहा
अब तक होम बेस्ड न्यूबोर्न केयर कार्यक्रम (एचबीएनसी) चलाया जा रहा है जिसमें आशा द्वारा 42 दिन तक संस्थागत प्रसव में 6 बार 3, 7, 14, 21, 28 एवं 42वें दिन तथा गृह प्रसव में 7 बार, 1, 3, 7, 14, 21, 28 व 42वें दिन तक गृह भ्रमण कर नवजात शिशुओं एवं धात्री माताओं के स्वास्थ्य की घर में देखभाल कर स्वस्थ व सुरक्षित रखने की व्यवस्था की गयी है।
दिया जाएगा प्रशिक्षण
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला सामुदायिक प्रक्रिया प्रबन्धक (डीसीपीएम) विष्णु प्रताप ने बताया कि इस कार्यक्रम की सफलता को देखते हुये, अब आशा कार्यकर्ता 42 दिन के स्थान पर 15 माह तक शिशु की देखभाल करेंगी। शीघ्र ही आशाओं को विकासखंड स्तर पर इसका प्रशिक्षण दिया जाएगा।
आशा देतीं हैं सलाह
विष्णु प्रताप ने बताया कि एचबीएनसी कार्यक्रम के तहत आशा द्वारा गृह भ्रमण के दौरान नवजात की सेहत की जांच की जाती है। आशा मां व अन्य परिवार वालों को यह सलाह देती हैं कि नवजात को छूने से पहले हाथ धोने चाहिए। मां नवजात को छ: माह तक केवल स्तनपान कराये, उसे पानी भी न दें। स्तनपान कराने से पहले मां अपने स्तन अच्छे से साफ करें। आशा गृह भ्रमण के तहत नवजात का वजन व तापमान लेती है। यदि नवजात बीमार होता है तो आशा उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र लेकर जाती है।
यह देती हैं जानकारी
यदि नवजात ठंडा लगे तो उसे मां, पिता या घर का अन्य सदस्य अपनी सीने से लगाकर रखे अर्थात उसे कंगारू मदर केयर के विषय में जानकारी देती है। इसके साथ ही साथ नाल पर कुछ न लगाना, नवजात को कंबल में लपेटने की सही जानकारी देती है। इन सभी गतिविधियों के द्वारा एचबीएनसी कार्यक्रम के तहत नवजात को जीवित रखने का प्रयास किया जाता है।