वाराणसी। वेतन विसंगतियों को लेकर सोमवार से काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के सर सुंदरलाल चिकित्सालय और ट्रामा सेंटर के जूनियर डॉक्टर दो दिवसीय हड़ताल पर चल गये। हड़ताल से इलाज के लिए अस्पताल में आये मरीजों और उनके परिजनों को काफी परेशानी हो रही है।
चिकित्सकीय व्यवस्था चरमरा गई
वहीं, वार्डों में भर्ती मरीजों की भी देखभाल ना होने पर उनके तीमारदार परेशान हैं। हड़ताल के बावजूद वरिष्ठ चिकित्सक अपने चैम्बर में मौजूद रहे, लेकिन जूनियर डॉक्टरों के ओपीडी में न आने के कारण कुछ ही मरीजों को देख पाये। अस्पताल में जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल से चिकित्सकीय व्यवस्था चरमरा गई हैं।
चिकित्सा अधीक्षक ने अस्पताल का किया निरीक्षण
हालांकि इमरजेंसी, आईसीयू, लेबर रूम में अन्य दिनों की तरह चिकित्सकों की सेवाएं जारी रही, लेकिन यहां भी हड़ताल का असर देखा गया। व्यवस्था को नियंत्रित करने के लिए अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक ने भी दोपहर में अस्पताल का निरीक्षण किया। रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के आह्वान पर सातवें वेतन आयोग के निर्देशों को लागू करने की मांग को लेकर पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत बीएचयू अस्पताल के जूनियर चिकित्सक दो दिवसीय हड़ताल पर हैं। हड़ताल की जानकारी एसोसियेशन के पदाधिकारियों ने एक दिन पहले ही पीएमओ, बीएचयू कुलपति, बीएचयू आईएमएस निदेशक, चिकित्सा अधीक्षक को दे दिया था।
मरीजों का पर्चा नहीं लिया
हड़ताली चिकित्सक ओपीडी, वार्ड, लेबर रूम, ऑपेरशन थियेटर में अपनी सेवाएं नही दे रहे हैं। इस हड़ताल में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेस रेजिडेंट चिकित्सक भी शामिल हैं। हड़ताल के कारण अस्पताल के जनरल सर्जरी ओपीडी में मरीजों का पर्चा नहीं लिया। सोमवार को अस्पताल में अन्य दिनों की तुलना में हजारों मरीज अधिक आते हैं। पूर्वांचल के विभिन्न जिलों से आये मरीज और उनके परिजन भोर में ही अस्पताल में पहुंच गये थे। अस्पताल के ओपीडी में जब उन्हें पता चला कि जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर हैं तो वे परेशान हो गये।
अस्पताल में भटकते रहे
गम्भीर रूप से बीमार लोग इलाज के लिए अस्पताल में भटकते रहे। न्यूरोलॉजी, बालरोग, स्त्री रोग व प्रसूति तंत्र बहिरंग विभाग के ओपीडी में मरीज इलाज के लिए भटकते रहे। वहीं दूर से आये गम्भीर मरीजों के परिजन उन्हें इलाज के लिये दूसरे अस्पताल में लेकर चले गये। जो कमजोर और आर्थिक रुप से कमजोर थे वह लोग अस्पताल परिसर के गलियारां में इलाज की आस में बैठे रहे।