लखनऊ। विश्व काला मोतिया सप्ताह (10 मार्च-16 मार्च) के अवसर पर शुक्रवार सुबह 6:30 बजे जागरुकता रैली निकाली गई। यह रैली सीतापुर आई हास्पीटल की ओर से डॉ. ज्योति भट्ट के मार्गदर्शन में निकाली गई। हाथों में बैनर लेकर लोगों को काला मोतिया (ग्लूकोमा) के बारे में जानकारी दी। यह रैली केजीएमयू से होते हुए टीले वाली मस्जिद से बुद्धा पार्क होते हुए वापस केजीएमयू लौटी। इस दौरान करीब 70 लोग मौजूद थे।
यह कहा डॉक्टर ने
सीतापुर आई हास्पीटल की डॉ. ज्योति भट्ट ने बताया कि ज्यादातर लोग कम दिखने की शिकायत लेकर आते हैं। ऐसा हो सकता है कि उन्हें ग्लोकोमा बीमारी हो। इसमें नस सूख जाती है। अनुवांशिक कारण से भी यह बीमारी हो सकती है। डॉ. ज्योति भट्ट ने बताया कि लगातार उपचार से काले मोतिया का इलाज संभव है। उन्होंने कहा कि आंखों को लेकर लोग ज्यादा सजग नहीं है और मेडिकल स्टोर से स्टेरॉयड खरीद कर इस्तेमाल करने लगते हैं। बीमारी के सही समय पर इलाज नहीं होने पर व्यक्ति अंधा भी हो सकता है।
ऐसा हो तो करें डॉक्टर से संपर्क
क्षमता में कमी आए, लाइट के चारों ओर रंगीन घेरे दिखाई देने लगे, अचानक आंखों में दर्द होने लगे, बार-बार चश्मे का नंबर बढ़ता रहे तो ऐसी स्थिति में काले मोतिया की जांच कराना आवश्यक हो जाता है।
इन बातों का जरूर रखें ध्यान
डॉ. भट्ट ने बताया कि अपनी आंखों को स्वस्थ और सामान्य बनाए रखना है तो अपनी आंखों की ग्लोकोमा की जांच समय-समय पर कराते रहें। आंखों से संबंधित बीमारियां जैसे काला मोतिया, समलबाई ग्लोकोमा से संबंधित हैं। ये इलाज के अभाव में धीरे-धीर आंखों पर दबाव डालती हैं और नस सूख जाती है और मरीज अंधा होना शुरू हो जाता है। अधिकतर ये 40 से अधिक उम्र वाले लोगों में खून के कारण या डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर औश्र माइग्रेन जैसी बीमारियों को जन्म देते हैं। इस उम्र वाले या 40 से अधिक उम्र वाले लोगों को दृष्टि खोने से पहले जांचों व उचित इलाज से बचा जा सकता है।