लखनऊ। पोषण माह के दौरान लखनऊ डीपीओ अखिलेन्द्र दुबे ने बताया कि कुपोषण की समस्या को दूर करने के लिए सहजन तथा सहजन की पत्तियां अत्यंत सहायक होती हैं। उन्होंने बताया कि जिले में 2700 आंगनबाड़ी केंद्र है। सभी को ब्लॉक स्तर पर जानकारी दे दी गई है।आंगनबाड़ी के द्वारा सहजन के गुणों की आंगनबाड़ी केंद्रों पर चर्चा भी की जाएगी।
यह सर्दियों में बाजार में बिकती हुई दिखाई देती है लेकिन इसके फायदे होने के बाद भी लोग इसका सेवन नहीं करते हैं। गर्भवती महिलाओं व कम आयु के बच्चों के लिए यह वरदान है। इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन-ए, सी और बी कॉम्पलैक्स प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
शोध में पाया गया कुपोषण में सुधार
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) प्रोजेक्ट के अंतर्गत, वैदेही इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च सेंटर, बंगलौर में हुए एक अध्ययन में सहजन का नियमित सेवन से कुपोषण में सुधार पाया गया। इसको प्रोटीन एनर्जी कुपोषण (पीइएम) से ग्रस्त बच्चों के इलाज के लिए प्रयोग किया जा सकता है व समाज में इसके लिए जागरुकता फैलाने की जरूरत है। अब उत्तर प्रदेश में भी सहजन के गुणकारी लाभों के बारे में आईसीडीएस परियोजनाओं में चर्चा हो रही है। इसके बारे में स्थानीय लोगों को बताया जा रहा है ताकि वे इसका उपयोग करें और स्वस्थ जीवन जियें।
आंगनबाड़ी केन्द्रों पर पौधे लगाये
इसके बारे में लखनऊ के आईसीडीएस विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी अखिलेन्द्र दुबे ने बताया कि लखनऊ जिले में इसके लाभकारी गुणों की चर्चा की शुरुआत हो चुकी है। कई आंगनबाड़ी केन्द्रों पर इसके पौधे भी लगाये गये हैं। इसके पेड़ का एक ही नहीं बल्कि हर हिस्सा बहुत फायदेमंद होता है तथा पोषक तत्वों से भरपूर होता है इसका फल, फूल, छाल, पत्तियां और जड़ सभी का उपयोग स्वास्थय के लिए बहुत फायदेमंद है। आंगनबाड़ी केन्द्रों द्वारा लोगों को बताया जा रहा है ताकि वे इसका उपयोग करें और स्वस्थ जीवन जियें। मोहनलालगंज के लालपुर और गौरा में अलावा भी आंगनबाड़ी केंद्रों में पौधे रोपे गए हैं। इसके अलावा भी अन्य केंद्रो में पौधे रोपने का काम किया जा रहा है।
पत्तियां भी फायदेमंद
डाइटीशियन रूपाली बताती हैं कि गर्भावस्था, धात्री व 2 से 10 वर्ष के बच्चों में कुपोषण की समस्या को दूर करने के लिए सहजन तथा सहजन की पत्तियां अत्यंत सहायक होती हैं। सहजन में अधिक मात्रा में कैल्शियम, आयरन, विटामिन ए, बी, सी तथा के और फास्फोरस होता है। इसमें एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं जो संक्रमण में रक्षा करते हैं।
यह होता है
रूपाली बताती हैं कि सभी ताजी हरी सब्जियों के मुकाबले 100 ग्राम ताजी सहजन की पत्तियों में सबसे अधिक केरोटीन व सबसे अधिक बीटा कैरोटीन होता है जो कि विटामिन ए की कमी को दूर करने के लिए एक बेहतर रणनीति हो सकती है। रूपाली बताती हैं कि गर्भवती व धात्री महिलाओं तथा कम आयु के बच्चों को उपरोक्त पोषक तत्वों की जरूरत एक सामान्य व्यक्ति से कहीं ज्यादा होती है। इस अवस्था में यदि सहजन का उपयोग दैनिक आहार में किया जाए तो मां तथा गर्भ में पल रहे बच्चे का विकास होगा। सहजन के उपयोग से धात्री माता में दूध की मात्रा बढ़ती है।