लखनऊ। शहर हो या गांव, हड्डी और जोड़ों की बीमारियों की समस्या हर जगह आम हो गई है। बढ़ती उम्र के साथ यह समस्या खुद ब खुद विकसित होने लगती है। 50 से अधिक उम्र के लगभग 49.2 प्रतिशत लोग हड्डी की बीमारियों, जैसे कि ऑस्टियोपोरोसिस, ऑस्टियोपेनिया, पुराना ऑस्टियो आर्थराइटिस आदि से पीडि़त हैं। दुनिया भर में ऑस्टियोपोरोसिस के कारण हर साल 89 लाख से अधिक फ्रैक्चर होते हैं।
दुनिया भर में 20 करोड़ महिलाएं प्रभावित
इस तरह हर तीन सेकेंड में एक ऑस्टियोपोरोटिक फ्रैक्चर होता है। अनुमान के अनुसार ऑस्टियोपोरोसिस दुनिया भर में 20 करोड़ महिलाओं को प्रभावित करता है, जिनमें लगभग 10 में से एक महिला की उम्र 60 साल, पांच में से एक महिला की उम्र 70 साल, पांच में से दो महिला की उम्र 80 साल और दो तिहाई महिलाएं 90 साल की होती हैं। दिल्ली स्थित सरोज सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के जॉइंट रिप्लेसमेंट विभाग के वरिष्ठ सलाहकार और एचओडी, डॉक्टर अनुज मल्होत्रा ने बताया कि, ऑस्टियोपोरोसिस में हड्डियां इतनी कमजोर हो जाती हैं कि इस रोग से पीडि़त मरीज आसानी से गिर जाते हैं। ऐसी घटनाओं में, कुल्हे व जोड़ों की हड्डियों के टूटने की संभावना अधिक होती है। लोग अक्सर इन समस्याओं को बढ़ती उम्र का हिस्सा समझकर अनदेखा कर देते हैं, जिसके कारण समय के साथ वे पूरी तरह से दूसरों पर निर्भर हो जाते हैं। समस्या यह है कि प्रभावित लोगों को भी रोग के जोखिम कारकों के साथ-साथ रोग के कई खतरों के बारे में पता नहीं होता है।
ये है कारण
इसलिए इसके बारे में लोगों के बीच जागरुकता बढ़ाना जरूरी है। आंकड़ों से यह पता चलता है कि भारतीय लोगों की हड्डियों पर ऑस्टियोरोपोरोसिस का कितना असर है। ऑस्टियोपोरोसिस के अन्य कारणों में खान-पान, बदलती लाइफस्टाइल, व्यायाम की कमी, शराब का अत्याधिक सेवन, शरीर में कैल्शियम, विटामिन डी और प्रोटीन की कमी आदि शामिल हैं। ऑस्टियोपोरोसिस कई बार अनुवांशिक भी होता है। इसका यह अर्थ है कि जिनके माता-पिता को ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या है उनकी संतानों को भी इसका खतरा रहता है।