झांसी। भारत में सिर और गर्दन का कैंसर सबसे आम है। सिर और गर्दन के कैंसर में ओरल कैविटी, होठ, टॉन्सिल, खाने की नली, वॉइस बॉक्स और थायरॉयड के मामले सबसे ज्यादा देखने को मिलते हैं। मुंह के कैसंर का सबसे बड़ा और आम कारण तंबाकू चबाना, धूम्रपान और शराब का सेवन है। सिर और गर्दन के कैंसर के बढ़ रहे मामलों को लेकर लोगों को जागरुक किया जायेगा। यह जानकारी पटपडग़ंज और वैशाली स्थित मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में सर्जिकल ऑनकोलॉजी के एसोसिएट निदेशक, डॉ. सौरभ अरोरा शनिवार को पत्रकारों से चर्चा करते हुए कही।
ओपीडी सेवाओं की शुरुआत
उन्होंने बताया कि मैक्स ने झांसी में ओपीडी सेवाओं की शुरुआत कर दी है। ओपीडी सेवाएं ग्लोबल मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल में महीने के पहले शनिवार को प्रदान की जाएंगी। उन्होंने बताया कि मुंह के कैंसर के मुख्य लक्षणों में लगातार अलसर, सफेद या लाल चकत्ते, गर्दन में कोई गांठ, आवाज में बदलाव और निगलने में लकलीफ आदि लक्षण शामिल हैं। यदि ये लक्षण 2-3 हफ्ते से ज्यादा समय तक रहते हैं तो तुरंत सिर और गर्दन के किसी अच्छे डॉक्टर से परामर्श लें।
जीभ का कैंसर
वहीं झांसी निवासी रमाकांत को हुए कैंसर के बारे में डॉ. अरोरा ने बताया कि रमाकांत को 2018 में जीभ का कैंसर हो गया था और जीभ का दाहिना हिस्सा पूरी तरह से कैंसर की चपेट में आ गया था, जहां उन्होंने अपनी पूरी जीभ या जबड़े को हमेशा के लिए खो देने के डर से लड़कर इलाज की प्रक्रिया को पूरा होने दिया। स्वस्थ और अच्छी जिंदगी जीने की उनकी चाहत ने इस सर्जरी को सफल बनाने में हमारी मदद की। उन्होंने बताया कि एक बड़ी संख्या में मरीज मुंह के कैंसर के एडवांस स्टेज से जूझ रहे हैं।
केमियोथेरपी का विकल्प चुना जाता है
इसलिए ऐसे मरीजों के इलाज के लिए सर्जरी के साथ रेडियोथेरपी और केमियोथेरपी की सहायती ली जाती है। ट्यूमर के आकार को कम करने के लिए कभी-कभी केमियोथेरपी का विकल्प चुना जाता है, जिससे सर्जरी को आसानी से पूरा किया जा सके। एडवांस स्टेज के मरीजों को रिकंस्ट्रक्शन की जरूरत पड़ती है। अच्छे रिकंस्ट्रक्शन और रिहैबिलिटेशन के बाद मरीज को खाने, निगलने और बोलने में आसानी होती है।