लखनऊ। समाज में जागरुकता न होने के चलते माहवारी की बात होते ही लड़कियों और महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव की तस्वीर दिखने लगती है। यह भेदभाव ग्रामीण और कामकाजी महिलाओं को ज्यादा होती है। आज के समय में भी इसके साथ सामाजिक कलंक और अज्ञानता जुड़ी है। इस मुद्दे पर चुप्पी तोडऩा तथा इनकी ओर समाज का ध्यान आकर्षित करना इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य था।
विश्व माहवारी दिवस परा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के किशोर स्वास्थ्य अनुभाग की अगुवाई में संस्था वॉटरएड, वात्सल्य, राष्ट्रीय महिला आयोग, स्वच्छ भारत मिशन, एसकेवीएस, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन आदि के साझा सहयोग से विश्व माहवारी दिवस का आयोजन लोहिया सभागार, पंचायती राज निदेशालय, अलीगंज में किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ संयुक्ता भाटिया महापौर, लखनऊ, महानिदेशक परिवार कल्याण डॉ. नीना गुप्ता, मिशन निदेशक स्वच्छ भारत मिशन आकाश दीप ने दीप प्रज्ज्वलन कर किया।
इसके बाद मेयर ने अपने संबोधन में कहा कि साफ-सफाई के मामले में लखनऊ 269 नम्बर है। इस मुद्दे पर हम सभी को मिलकर काम करना होगा जिससे हमारा शहर सफाई के मामले में नम्बर एक पर आ जाये इसके लिए जहां कहीं भी मेेरे सहयोग की आवश्यकता हो मै तैयार हूं। माहवारी का मुद्दा प्रमुख है इसके चलते कई लड़कियो इन दिनों स्कूल नहीं जा पाती है या फिर स्कूल छोड़ देती है इस प्रकार कई लड़कियां नहीं पढ़ पाती। उन्होंने सभी से इस बात का वादा लिया कि साफ-सफाई के लिए सभी प्रयास करें।
सरकार के सहयोग से किशोरियों को बनाया जा सकता है सशक्त: डा. नीलम
डॉ. नीलम सिंह ने कार्यक्रम पर प्रकाश डालते बताया कि सरकार महिलाओं को प्रजनन संबंधी अधिकार को सुनिश्चित करती है। इसके अलावा सरकार द्वारा कई कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं। बहुत सी महिलाओं एवं किशोरियों में प्रजनन सम्बन्धी बीमारियों में बढ़ावा मिलता है, लगभग 60 प्रतिशत लड़कियां इस दौरान विद्यालय नहीं जाती हैं, 44 प्रतिशत किशोरियों को भ्रान्तियों के चलते लड़कियों एवं महिलाओं पर प्रतिबन्ध के शर्मिन्दगी एवं अपमान का सामना करना पड़ता है, जैसे बाहर ना निकालना ,विद्यालय ना जाना ,रसोई में ना जाना, मन्दिर में ना जाना इत्यादि जिससे कहीं ना कहीं महिलाओं के अधिकारों का हनन भी होता है। यदि सरकार एवं समुदाय मिलकर इस मुद्दे पर कार्य करे तो महिलाओं, किशोरियों को सशक्त बनाया जा सकता है।
पुरूषों को भी निभानी होगी बड़ी भागीदारी
डा. हरिओम दीक्षित ने कहा कि किशोरी सुरक्षा योजना में माहवारी सिर्फ महिलाओं एवं किशोरियों का मुद्दा नही है बल्कि इस पर पुरूषों की भागीदारी होनी चाहिए। उन्होने सरकार के द्वारा चलायी जा रही योजनाओं के विषय में बताया जिसमें किशोरियों हेतु स्वास्थ्य क्लीनिक ,विद्यालयों में साप्ताहिक आयरन गोली, डिवार्मिग कार्यक्रम ,किशोरी सुरक्षा योजना ,पियर एजुकेशन इत्यादि।
इन बातों का रखना होगा विशेष ध्यान
माहवारी के दिनों में महिलाएं कुछ कदम उठाकर अपना बेहतर ख्याल रख सकती हैं। सबसे जरूरी चीज है अपना बेहतर खान-पान रखना महिलाओं को आहारयुक्त साबुत अनाज, सब्जियों और फलों आदि का सेवन अधिक करना चाहिए। नमक, चीनी, कॉपी या सॉफ्ट ड्रिंक जैसी चीजें कम खानी चाहिए। इसके अलावा इन दिनों महिलाओं को आराम करना भी आवश्यक होता है।
ऐसा करें
सबसे जरूरी बात है पीरियड्स के दौरान हर 4 से 6 घंटे के भीतर सेनेटरी पैड को बदलना। गंदे कपड़े का इस्तेमाल बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा सेनेटरी पैड को भी समय-समय पर बदलते रहना चाहिए।