लखनऊ। आज के दौर में मोबाइल हमारे जीवन में कई बदलाव ला दिया है। यही नहीं मोबाइल ने हमारे जीवन को आसान बना दिया है। यह हमारे लिए जितना अच्छा है उतना ही खराब भी। मोबाइल के अधिक उपयोग से होने वाले हानिकारक प्रभावों मे सबसे खतरनाक मोबाइल रेडिएशन या मोबाइल विकिरण है। इससे पहुंचने वाली हानि से हम सब लोग अंजान हैं।
हार्ट रेट को 5 फीसदी करेगा कम
‘एनवाइरोचिप’ के निदेशक प्रणव पोद्दार ने बुधवार को एक होटल में आयोजित कार्यशाला में होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में बताया। मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल हमें तनाव की ओर लेकर जाता है। निदेशक प्रणव पोद्दार ने बताया कि यह हमारे तनाव (हार्ट रेट) को 5 फीसदी कम कर सकता है तो अब परेशान होने की जरूरत नही है। मोबाइल फोन, लैपटॉप, राऊटर जैसे यंत्रों की सिग्नल क्षमता या गुणवत्ता को कम नहीं करता है।
स्वास्थ्य सुधार में सुरक्षा
कई डॉक्टर, शोधकर्ता और वैज्ञानिक मानते हैं कि संचार यंत्रों (वायरलेस) के अत्यधिक प्रयोग मानव स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचते हैं। इन रेडिएशन का घर और कार्यस्थल में चौबीसों घंटे सातों दिन हम पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने वर्ष 2011 में मोबाइल रेडिएशन को कैंसर का संभावित कारक माना हैं। ‘एनवाइरोचिप’ इन हानिकारक रेडिएशन के प्रभाव को बदलकर लोगों के स्वास्थ्य सुधार में सुरक्षा करती है।
यह खास बात
हमने इस चिप का परीक्षण मैक्स हेल्थकेयर के सहयोग से किया और परिणाम बिख्यात अमेरिकी प्रकाशन जेबीआईएसई में प्रकाशित हुआ। इसके अलावा डीबी टेक्नोलॉजी इंग्लॅण्ड ने सिद्ध किया कि इसके प्रयोग से सिग्नल की क्षमता और गुणवत्ता में कोई अंतर नहीं आता। सीई सर्टिफाइड यूरोप में (सुरक्षा का मापदंड) और सिंगापुर ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल ने भी एनवायरो चिप को ग्रीन प्रोडक्ट के रूप में प्रमाणित किया।