लखनऊ। राजकीय होम्योपैथिक कॉलेज लखनऊ व इलाहाबाद में एमडी कोर्स शुरू हो चुका है। अब जरूरत है कि इन कॉलेजों में शोध को भी बढ़ावा दिया जाए। इसके लिए कॉलेज में सेण्ट्रल काउन्सिलिंग ऑफ होम्योपैथिक के मानक के अनुरूप फेकल्टी भी पूरी हो चुकी है। उक्त बातें उत्तर प्रदेश राज्य आयुष सोसाइटी, लखनऊ के मिशन निदेशक आरएन बाजपेई ने यहां होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति के जनक डॉ. सैमुअल हैनीमेन का जन्म दिन पर आयोजित कार्यक्रम में कहीं।
शासन से कर चुके हैं मांग
कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि शोध के लिए शासन से पहले ही मांग की जा चुकी है। जिन कॉलेजों में फेकल्टी के पद रिक्त थे वहां संविदा पर नियुक्ति की गयी है जिससे कि अब कॉलेज शोध कार्य करने के योग्य हैं। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में कईं बीमारियां तेजी से बढ़ती जा रही है। शोध के जरिए हम इन बीमारियों के पनपने व उसके इलाज की सटीक दवाओं का पता किया जा सकता है।
कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुए होम्योपैथिक मेडिसिन बोर्ड के अध्यक्ष, डॉ. बीएन सिंह ने बताया कि हैनीमेन ने जो खोज की है वह आज भी प्रभावकारी व कल्याणकारी है। उन्होंने कहा कि हैनीमेन की तरह हमें पूरी निष्ठा और सेवा के भाव से अपनी सेवायें देनी चाहिए। हम किसी भी सेवा से जुड़े हों चाहे वो शोधकर्ता हो, डॉक्टर हो या अधिकारी हो। अपने कार्य क्षेत्र में आगे बढऩे के उद्देश्य के साथ चलते रहना चाहिए।
प्रदेश में 7 होम्योपैथिक कॉलेज संचालित
उत्तर प्रदेश राज्य आयुष सोसाइटी, लखनऊ के कार्यक्रम प्रबंधक ्रअरविन्द ने कहा कि होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति की व्यवस्थाओं में काफी सुधार किया जा चुका है। प्रदेश में 1575 डिस्पेन्सरी हैं जिनमें से 230 डिस्पेन्सरी का उच्चीकरण किया जा चुका है। वहीं 53 डिस्पेन्सरी का उच्चीकरण किया जा रहा है। वहीं प्रदेश में 7 होम्योपैथिक कॉलेज संचालित हैं। इसके अतिरिक्त 2 नये होम्योपैथिक कॉलेज अलीगढ़ व गोरखपुर के मेडिकल कॉलेज के ओपीडी शुरू हो चुके हैं। इनमें बीएचएमएस डिग्री के लिए स्नातक कोर्स शुरू करने के लिए सरकार से अनुमति मांगी गयी है।
बीएचएमएस की बढ़ सकती हैं सीटें
अरविन्द ने बताया कि प्रदेश के राजकीय होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज में बीएचएमएस डिग्री के लिए 300 सीटें हैं। इनमें 50-50 सीटें और बढ़ाने के लिए सरकार से मांग की जा चुकी है जिसके बढऩे से प्रदेश में होम्योपैथिक चिकित्सक और तैयार हो सकेंगे।
गर्भपात को रोका जा सकता है
उत्तर प्रदेश राज्य आयुष सोसाइटी, लखनऊ के परामर्शदाता डॉ. मीनाक्षी सिंह ने बताया कि गर्भावस्था के शुरू के तीन चरणों में कई गर्भवती महिलाओं का गर्भपात हो जाता है जिसके कई कारण होते हैं। इनका लक्षणों के आधार पर होम्योपैथिक से सफल इलाज किया जा सकता है। होम्योपैथी विधा में इसका इलाज किया जा रहा है। वहीं होम्योपैथिक चिकित्सा में ऐसी कई दवायें उपलब्ध है जिससे सामान्य प्रसव भी हो सकती है। इतना ही नहीं गर्भावस्था में मचली व उल्टी से होम्योपैथिक दवाओं से लाभ मिलता है।
इस मौके पर आयुष मिशन के वित्त प्रबंधक, जे0पी0 सिंह, डॉ0 विजय पुष्कर, संयुक्त निदेशक, डॉ0. राजेश वर्मा, डॉ0 राजेश सिंह पटेल, यूनानी निदेशक, मो0 सिकन्दर हयात सिद्दकी, डॉ0 अवधेश द्विवेदी, डॉ0 बृजेश गुप्ता, डॉ0 अब्दुल वहीद अंसारी, डॉ0 सुनील कुमार व श्री अनुराग सिंह सहित कई अधिकारी मौजूद रहे।