डेस्क। दूब का इस्तेमाल आप पूजा-पाठ में करते हैं। आज हम आपको बता रहे हैं कि इसका उपयोग आप स्वास्थ्य के लिए भी करते हैं। तो आइए आज हम आपको बताएं इसका इस्तेमाल कौन से रोग के लिए किस तरह किया जाता है। औषधीय गुणों से भरपूर दुर्वा यानी दूब को हिन्दू संस्कारों और कर्मकांडों में उपयोग के साथ ही यौन रोगों लीवर रोगों कब्ज के उपचार में रामबाण माना जाता है।
दूब का स्वाद कसैला-मीठा होता है जिसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, फाइबर, पोटाशियम पर्याप्त मात्रा में विद्यमान होते हैं जो कि विभिन्न प्रकार के पित्त और कब्ज विकारों को दूर करने का काम करता है। यही नहीं गर्भपात में भी दूब उपयोगी है। दूब के रस में सफेद चंदन का चूर्ण और मिश्री मिलाकर पिलाने से लाभ होता है। रक्तस्त्राव और गर्भपात में इसका प्रयोग करने से रक्त बहना रुक जाता है। गर्भाशय को शक्ति और पोषण मिलता है।
दूब और चूने को समान मात्रा में लेकर पानी में पीसें और इसे चेहरे पर लेप करने से लाभ होता ह। इसी तरह दूब को पीसकर पलकों पर बांधने से आंखों की समस्या में लाभ होता है, आंखों से मल का आना भी बंद हो जाता है।
अनार फूलों के रस को दूब के रस के साथ या हरड़ के साथ मिलाकर एक-दो बूंद नाक में डालने से नकसीर में आराम मिलता है। दूब के रस को एक से दो बूंद नाक में डालने से नाक से खून आना बंद हो जाता है।
दूब के रस को पीसकर दही में मिलाकर लें और इसके पत्तों को पीसकर बवासीर पर लेप करने से लाभ होता है।् दूब को 30 मिली पानी में पीसें और इसमें मिश्री मिलाकर सुबह-शाम पीने से पथरी में लाभ होता है।
दूब की मूल का काढ़ा बनाकर 10 से 30 मिली मात्रा में पीने से यूरिन इंफेक्शन खत्म होता है। इसके अलावा दूब को मिश्री के साथ घोंट छानकर पिलाने से पेशाब के साथ खून आना बंद हो जाता है। एक से दो ग्राम दूब को दूध में पीस छानकर पिलाने से पेशाब में जलन मिटती है।