लखनऊ। एसजीपीजीआई के इमरजेंसी में कार्यरत डॉक्टर विकास वर्मा एमडी में एडमिशन लेने के चक्कर में दो लाख रुपये ठगी के शिकार हो गए। डॉ. वर्मा को कटिहार मेडिकल कॉलेज में दाखिला दिलाने के नाम पर ठगी हुई है। डॉ. वर्मा को शक हुआ कि उनके साथ हेराफेरी हो रही है तो उन्होंने पैसे वापस मांगने के लिए फोन किया तो आरोपी टालमटोल करनेलगा। डॉक्टर ने अज्ञात आरोपी व खाता धारक के खिलाफ पीजीआई कोतवाली में एफआईआर दर्ज करायी है।
यह हुआ डॉ. वर्मा के साथ
इंस्पेक्टर अशोक कुमार सरोज ने बताया कि श्रावस्ती निवासी डॉ. विकास वर्मा वृंदावन योजना के बी-ब्लॉक में रहते हैं। वह पीजीआई की इमरजेंसी में कार्यरत हैं। डॉ. विकास ने बताया कि वह एमडी में एडमिशन लेना चाह रहे थे। इस बीच एक वरिष्ठ डॉक्टर ने उन्हें कटिहार मेडिकल कॉलेज के डॉ. गुप्ता का मोबाइल नंबर दिया। उन्होंने उक्त नंबर पर कॉल किया तो उनसे शैक्षणिक प्रमाण पत्र मांगे गए। प्रमाण पत्र देने के बाद आरोपी ने उन्हें फोन करके बताया कि कटिहार मेडिकल कॉलेज में एमडी की एक सीट खाली है और वह उन्हें एडमिशन दे सकता है। उसने जल्द से जल्द खाते में दो लाख रुपये जमा कराने को कहा।
डॉ. विकास ने खाते में रकम ट्रांसफर करने से मना कर दिया। इस पर आरोपी ने यह कहकर उन्हें तैयार कर लिया कि रुपये कटिहार मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के खाते में भेजने हैं। बीते बुधवार को डॉ. विकास वर्मा ने अपने एसबीआई और एचडीएफसी बैंक के खातों से आरोपी के बताए गए खाते में दो लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए।
आईडी नंबर और रजिस्ट्रेशन फर्जी
डॉ. विकास ने बताया कि रुपये जमा कराने के बाद आरोपी ने उन्हें फोन करके बताया कि उनका एडमिशन हो गया है। उसने आईडी नंबर और रजिस्ट्रेशन शीट भी ई-मेल पर भेजी। उसने डॉ. विकास को पटना आकर मेडिकल कॉलेज के प्रशासनिक भवन में फीस जमा कराने को कहा। इतनी जल्दी और आसानी से सबकुछ होने की बात पर डॉ. विकास को शक हुआ। उन्होंने पड़ताल की तो पता चला कि आईडी नंबर और रजिस्ट्रेशन फर्जी है। इस पर उन्होंने आरोपी से संपर्क करके अपने रुपये लौटाने को कहा तो वह टालमटोल करने लगा।
यहां से निकाली गई रकम
डॉ. विकास ने बैंक से जानकारी जुटाई तो पता चला कि जालसाज ने जिस खाते में रुपये जमा करवाए थे, उक्त खाता कटिहार मेडिकल कॉलेज का था ही नहीं। पता चला कि दो लाख रुपये जलपाईगुड़ी में सोमेश नाम के युवक के खाते में ट्रांसफर हुए हैं। ठगों ने दो दिन के अंदर एक लाख 84 हजार रुपये की निकासी भी कर ली है और अब खाते में महज 16 हजार रुपये बचे हैं। फिलहाल डॉ. विकास के अनुरोध पर बैंक अधिकारियों ने खाता फ्रीज कर दिया है।