लखनऊ। केजीएमयू के ट्रामा में एक बार फिर इलाज में लापरवाही होने से एक मासूम की मौत हो गई। मासूम 15 घंटे तक तड़पता रहा लेकिन डॉक्टरों का दिल नहीं पसीजा। इस बच्चे के लिए चिकित्सा शिक्षा मंत्री कार्यालय से फोन आया लेकिन जब तक सीनियर डॉक्टर बच्चे को देखने आते तब तक उसकी सांसे थम चुकी थीं। इस मामले की शिकायत परिवारीजनों ने मुख्यमंत्री और चिकित्सा शिक्षा मंत्री से पूरे मामले की शिकायत की है।
जूनियर डॉक्टर ही इलाज करते रहे
हरदोई निवासी सात माह के रिषभ की तबीयत खराब हो गई थी। स्थानीय डॉक्टरों ने शिशु को केजीएमयू रेफर कर दिया था। 27 जून की रात ग्यारह बजे पिता बृजेश उसे लेकर ट्रॉमा सेंटर पहुंचे। यहां उसे भर्ती नहीं किया गया। करीब चार घंटे रिषभ को लेकर परिजन भटकते रहे। इसके बाद डॉक्टरों ने ट्रॉमा के एनआइसीयू में बेड खाली न होने पर बालरोग विभाग में भेज दिया। चाचा संदीप के मुताबिक बाल रोग विभाग में जूनियर डॉक्टर ही इलाज करते रहे। बीच में एक-दो बार ही सीनियर डॉक्टर आए। हालत गड़बड़ाने पर बार-बार सीनियर डॉक्टर को बुलाने की फरियाद करता रहा। मगर कोई सुनवाई नहीं हुई।
सिफारिश के बाद किया भर्ती
संदीप के मुताबिक चिकित्सा शिक्षा मंत्री के कार्यालय से फोन कराया। गुरुवार रात नौ बजे ट्रॉमा सेंटर के एनआइसीयू में रिषभ को भर्ती किया गया। यहां रात में कोई सीनियर डॉक्टर देखने नहीं आया। जूनियर खून आदि की जांच के लिए दौड़ाते रहे। वहीं, शुक्रवार सुबह बच्चे की हालत अधिक गंभीर हो गई। हंगामा व विरोध पर सीनियर डॉक्टर को सूचना दी गई। ऐसे में गुरुवार रात नौ बजे भर्ती बच्चे को देखने शुक्रवार 12 बजे के बाद बाल रोग चिकित्सक पहुंचीं।
…तब तक थम गईं सांस
संदीप के मुताबिक सीनियर डॉक्टर ने बच्चे को तत्काल खून चढ़ाने की आवश्यकता बताई। इस दौरान परिजन खून लेने गए। रक्तदान कर एक यूनिट खून लेकर आए। इस बीच बच्चे की हालत और बिगड़ गई। डेढ़ बजे के करीब शिशु रिषभ की मौत हो गई। परिजनों ने सीएम से ट्विटर पर शिकायत की। साथ ही चिकित्सा शिक्षा मंत्री से लिखित शिकायत की बात कही है।