लखनऊ। केजीएमयू में अब घटने का आधा हिस्सा भी बदला जाएगा। यानि कि मरीज के घटने का जितना हिस्सा खराब होगा उतना ही डॉक्टर बदलेंगे। अच्छी बात तो इसमें यह है कि ऑपरेशन एक महीन चीरे से घुटना प्रत्यारोपण हो जाएगा और ऑपरेशन के दो-तीन बाद ही मरीज चल-फिर सकेगा। केजीएमयू में इस नई तकनीक ऑक्सफोड पारसीयल नी रिप्लेसमेंट से एक महिला का ऑपरेशन भी किया है। डॉ. आशीष कुमार ने बताया कि अब तक विभाग में मरीजों का पूरा घुटना बदला जा रहा था।
दस प्रतिशत कम आएगा खर्च
बताया कि 30 से 40 प्रतिशत मरीजों का आधा घुटना ही खराब होता है। मरीज दर्द की शिकायत बताता है। ऐसे में पूरा घटना बदलना पड़ता है। जिसे हम टोटल नी रिप्लेसमेंट के नाम से जानते हैं। मरीजों को परेशानी से बचाने के लिए अब जरूरत के हिसाब से आधा घुटना ही बदला जाएगा। डॉ. आशीष कुमार ने बताया कि नई तकनीक से खर्च करीब दस प्रतिशत कम आएगा। बताया कि घुटने के पूरे प्रत्यारोपण से कई लिगामेंट भी निकल जाते थे। ऐसे में प्रत्यारोपण बाद भी मरीज पहले की तरह चल-फिर नहीं पाते थे। इस विधि में मरीज पहले की तरह ही चल-फिर सकेंगे।