लखनऊ। क्या आपको पता है कि जापानी इंसेफेलाइटिस और टीबी जैसी घातक बीमारी जापान में नहीं है। ये बिल्कुल सच है। इन दो बीमारियों से हमारा प्रदेश अभी जूझ रहा है। वहीं जापान में सही समय पर इसका निराकरण कर रहा है। यही नहीं तरह डेंगू व मलेरिया के मरीजों की संख्या भी नाममात्र है। यह बात केजीएमयू के मेडिसिन विभाग में जेआर डा. अनन्य गुप्ता ने बताई है। डा. अनन्य गुप्ता को जापनीज इंटरनेशनल कोऑपरेशन सेंटर की ओर से आयोजित नौ दिवसीय चिकित्सा कार्यक्रम में हिस्सा लेने का मौका मिला था। वह उत्तर प्रदेश के इकलौते ऐसे डॉक्टर हैं जिन्हें यहां शामिल होने का गौरव प्राप्त हुआ हो।
20 मेडल हासिल कर चुके हैं डॉ. अनन्य
डॉ. अनन्य पीजी करने के बाद जापान में आयोजित कार्यक्रम के लिए कुलपति प्रोफेसर एमएलबी भट्ट व डीन प्रोफेसर विनीता दास ने उनके नाम का प्रस्ताव दिया। इसके बाद विदेश मंत्रालय में हुए साक्षात्कार को पास करने के बाद डॉ. गुप्ता जापान के कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए नामित किए गए। डॉ. गुप्ता केजीएमयू में एमबीबीएस के दौरान एक साथ 20 मेडल हासिल कर चुके हैं। मालूम हो कि भारत से आठ चिकित्सकों का चयन हुआ, जिसमें यूपी से डॉ. गुप्ता को भेजा गया था।
भारत में ऐसा हो तो बीमारियां हो जाएंगी खत्म
जापान से लौटने के बाद डा. गुप्ता ने बताया कि जापान की चिकित्सा व्यवस्था में उपचार से ज्यादा बचाव पर ध्यान दिया जाता है और यही वजह है कि वहां पर बीमारियों के फैलने से पहले ही उनके कारणों का पता कर निस्तारण कर लिया जाता है। डॉ. गुप्ता का मानना है कि भारत में भी इस प्रणाली को अपनाया जाए तो बीमारियां काफी हद तक कम हो जाएंगी। इसी तरह जापान के पीएचसी एवं सीएचसी से रेफर होने के बाद भी मरीज का जिला अस्पताल पहुंचता है। यहां भी डॉक्टर अपनी जिम्मेदारी बखूरी निभाते हैं। डा. गुप्ता ने बताया कि उन्होंने जापान में सीखी गई बातों से केजीएमयू कुलपति को अवगत कराया है।