लखनऊ। वर्तमान जीवन शैली में बच्चे अपना ज्यादा से ज्यादा समय टीवी, मोबाइल, लैपटॉप आदि पर व्यतीत कर रहे हैं जिसके परिणाम स्वरूप बच्चों एवं उनके माता-पिता के मध्य दूरी बन जाती है बच्चे अपने मन की बातों को माता-पिता से नहीं बता पाते हैं जिस कारण से मन में कई बातें घर कर जाती हैं एवं बच्चे मानसिक तनाव से ग्रस्त हो जाते हैं इसके अतिरिक्त स्कूली छात्र-छात्राओं पर परीक्षा पढ़ाई शिक्षकों से भी तनाव होता है।
ये थे मौजूद
उक्त बातें विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर गोमती नगर स्थित सिटी मांटेसरी स्कूल में आयोजित कार्यशाला में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर नरेंद्र अग्रवाल ने कही। कार्यशाला में कक्षा 7 से 12 तक के छात्र-छात्राएं मौजूद थीं। कार्यशाला में डॉ. राजेंद्र चौधरी प्रमुख चिकित्सा अधिकारी जिला नोडल अधिकारी मानसिक स्वास्थ डॉक्टर सुनील पांडे राज्य नोडल अधिकारी मानसिक स्वास्थ्य उत्तर प्रदेश यास्मीन खान उप प्रधानाचार्य एवं मोइन अहमद सेवानिवृत्ति एबीएसए और स्कूल के अध्यापक और छात्र छात्राएं उपस्थित थे।
मॉडल शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाएगा
डॉक्टर सुनील पांडे ने कहा कि जिले के समस्त विद्यालयों में से एक मानसिक स्वास्थ्य के संबंध में जिला मानसिक स्वास्थ्य पोस्ट द्वारा प्रशिक्षित किया जाएगा। इसके बाद प्रशिक्षित शिक्षकों द्वारा कक्षा में मॉनिटर की भांति लड़कों को लड़कियों को मंत्री बनाया जाएगा जो कक्षा के बच्चों के मानसिक व्यवहार की समस्याओं को नोडल शिक्षकों को अवगत कराएंगे शिक्षक बच्चे के माता-पिता को अवगत कराएंगे।
इन्होंने दी जानकारी
कार्यशाला में डॉ. आशुतोष श्रीवास्तव ने मेंटल है फस्र्ट ऐड विषय पर बच्चों को जानकारी दी और सरल रूप में बच्चों को मानसिक विकारों से निपटने के तरीकों के बारे में बताया। डेविड अब्राहम ने लाइफ स्किल्स फॉर टीनएजर विषय पर बच्चों को युवा स्वस्था में मन में उठने वाले विचारों में मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूक किया। स्कूल की प्रधानाचार्य आभा आनंद द्वारा कार्यशाला के आयोजन के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी का आभार व्यक्त करते कहा कि जनपद में प्रत्येक विद्यालय में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किए जाने के लिए इस तरह की कार्यशाला कार्यक्रम की आवश्यकता है।
अंकों के अनुसार सेक्शन ना बनाएं
उन्होंने छात्र-छात्राओं से कहा कि मानसिक स्वास्थ्य के प्रति स्वयं अपने परिजनों को जागरूक करें कार्यक्रम के अंत में जनपद के नोडल अधिकारी द्वारा बताया गया कि कई आवश्यक बनाते हैं। उन्होंने कहा एक समान नहीं होता और ना ही हर बच्चे एक समान होता है उनके द्वारा जाने के प्रधानाचार्य से विशेष अनुरोध किया गया कि बच्चों को प्राप्त होने वाले अंकों के अनुसार सेक्शन नहीं बनाना चाहिए इससे बच्चे के अंदर हीन भावना उत्पन्न होने का भय रहता है अंत में उन्होंने कार्यशाला में प्रतिभाग करने होते सभी का आभार व्यक्त किया।