लखनऊ। गोमती नगर स्थित राजकीय नेशनल होम्योपैथिक मेडिकल कालेज में गोष्ठी का आयोजन किया गया। यह गोष्ठी दस्त के कारण एवं होम्योपैथिक औषधियों द्वारा नियन्त्रण एवं उपचार पर दस्त नियन्त्रण पखवाड़ा के समापन के अवसर पर आयोजित की गई। मुख्य वक्ता के रूप में केजीएमयू के मेडिसिन विभाग के प्रो. एस.के. सिंह मौजूद थे। उन्होंने बताया कि दस्त का उपचार ओआरएस घोल से शुरू कर देना चाहिए। गोष्ठी में पैथालोजी, पैम्टिस आफ मेरिकसन, फारन्सेकि मेडिसिन तथा अन्य विभागों के विभागाध्यक्ष तथा इन्टर्नस तथा प्रथम वर्ष से अन्तिम वर्ष के छात्र एवं छात्राएं उपस्थित थे।
इस पर भी व्याख्यान
वहीं संगोष्ठी में राजकीय नेशनल होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज के प्रवक्ता डॉ. रत्नेश कुमार ने बताया कि दस्त एक जानलेवा बीमारी है। इसमें दवा के साथ-साथ सामान्य जांच जैसे साफ-सफाई, खाने के प्रकार तथा खाने के रख-रखाव इत्यादि पर प्रत्येक व्यक्ति को ध्यान देना चाहिए। डॉ. पन्नालाल रीडर पैथोलॉजी विभाग ने जटिल रोगों जैसे एड्स, डायबिटीज के मरीजों में दस्त के निवारण पर प्रकाश डाला तथा रोटा वाइरस, हेलीकोबैक्अर पाइलोरी, कोल्ड डायरिया, लेक्टोज, इन्टोलेन्स, कीमोथैरेपी इन्डज्ड डायरिया पर अपना व्याख्यान दिया।
प्रतिवर्ष 2,800 से ज्यादा बच्चों की मृत्य
गोष्ठी का संचालन करते हुए डॉ. एसडी सिंह ने बताया कि दस्त से उप्र में प्रतिवर्ष 2,800 से ज्यादा बच्चों की मृत्य पांच वर्ष को आयु से पहले हो जाती है। उप्र में ही दस्त की वजह से प्रतिवर्ष 25,000 से ज्यादा बच्चों की मृत्यु हो जाती है इसका मुख्य कारण लोगों की अशिक्षा तथा स्वस्थ्य के प्रति जागरुकता की कमी है। ओआरएस का घोल की बनाने की जानकारी तथा ओआरएस की उपयोगिता की जानकारी यदि लोगों को दी जाये तो 95 प्रतिशत से ज्यादा दस्त से होने वाली मृत्यु रोकी जा सकती है।
कम खर्च में उपचार
प्रो. शैलेन्दु सिंह, डॉ. डीएन शर्मा ने बताया कि यदि दस्त में ओआरएस दिया जाये तथा होम्योपैथिक दवाइयां, चापना, आर्सेनिक, वैराइटम अल्वा, कैमामिला, पल्साटिल्ला, एलोओज, पौडाफाइलम इत्यादि असंख्य दवाइयां उपलब्ध है जिनके माध्यम से दस्त जैसी बीमारी को कम खर्च में ठीक किया जा सकता है।