डेस्क। डायबिटीज से मरीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होती है। आमतौर पर डायबिटीज की समस्या मेटाबॉलिज्म के कारण होती है। इस रोग के कारण कई हृदय रोगों जैसे हार्ट स्ट्रोक, हार्ट अटैक आदि का खतरा बढ़ जाता है। डायबिटीज कई कारणों से होता है जैसे- मोटापा, ब्लड प्रेशर और आलस आदि।
डायबिटीज के मरीज को हाइपोग्लासेमिया का खतरा बहुत ज्यादा होता है। दरअसल हाइपोग्लाइसेमिया एक ऐसी स्टेज है जिसमें शरीर में ग्लूकोज का स्तर जरूरत से ज्यादा कम हो जाता है। शरीर में तेजी से ग्लूकोज का स्तर घटने के कारण हाइपोग्लाइसेमिक अटैक आ सकता है। कई बार ये स्थिति तब भी बन जाती है जब अत्यधिक मात्रा में एल्कोहल का सेवन किया जाता है क्योंकि एल्कोहल लिवर में ग्लूकोज के स्तर को बहुत कम कर देता है। हाइपोग्लाइसेमिया यानि खून में शुगर का लेवल का बहुत बढ़ जाना, डायबिटीज के मरीज के लिए एक सामान्य समस्या है। शरीर में ग्लूकोज का स्तर ज्यादा घट जाने के कारण मरीज के दिल की धड़कन अचानक से बढ़ जाती है और उसे धुंधला दिखाई देने लगता है। इसके अलावा हाइपोग्लासेमिया की स्थिति में भूख न लगना और ध्यान केंद्रित न हो पाने जैसी समस्या भी हो जाती है।
लक्षण
हाइपोग्लाइसेमिया से मरीज के अंगों को काम करने के लिए पर्याप्त ग्लूकोज यानि ऊर्जा नहीं मिल पाता है। कई बार इसके कारण मरीज को बेहोशी भी आ सकती है। हाइपोग्लासेमिया का मुख्य लक्षण सिर में तेज दर्द के साथ चक्कर आना और मरीज के शरीर का ठंडा होने के साथ-साथ हल्का पीला होने लगना है। इसके अलावा मरीज के दिल की धड़कन सामान्य से ज्यादा तेज हो जाती है और उसे सांस लेने में भी तकलीफ होने लगती है। हाइपोग्लाइसेमिया खतरनाक बीमारी है क्योंकि इसका समय से इलाज न किया जाए तो मरीज कोमा में जा सकता है या उसकी मौत भी हो सकती है।