लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में कर्मचारियों एवं रेजीडेंट डाक्टर्स के बीच बना विवाद बढ़ता जा रहा है। अभद्र टिप्पणी वाले मामले को लेकर कर्मचारी परिषद के अध्यक्ष विकास सिंह ने एफआईआर की मांग की है। कर्मचारी परिषद ने चीफ प्राक्टर से शिकायत की थी। शिकायत के आधार पर चीफ प्राक्टर ने गुरुवार को जांच कमेटी गठित कर दी है। अधिकारियों का कहना है कि जांच में आरोपों की पुष्टि हुई तो रेजिडेंट डॉक्टरों पर कठोर कार्रवाई हो सकती है।
केजीएमयू प्रशासन की लापरवाही से पनपा विवाद
केजीएमयू प्रशासन ने पार्किंग व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए नया खाका तैयार किया। इसके तहत कर्मचारियों के लिए पार्किंग आरक्षित कर दी। वहीं रेजीडेंट डॉक्टरों के लिए पार्किंग का बंदोबस्त नहीं किया गया। केजीएमयू प्रशासन की लापरवाही से कर्मचारियों और रेजिडेंट डॉक्टरों में टकराव की स्थिति बन गई। रेजिडेंट डॉक्टरों का कहना है कि मरीजों के लिए सेवा के लिए एक से दूसरे वार्ड तक दौड़ लगानी पड़ती है। पार्किंग की उचित व्यवस्था न होने से मुश्किलें हो रही हैं। कर्मचारियों को पार्किंग आरक्षित होने पर रेजिडेंट डॉक्टरों का गुस्सा भड़क उठा।
ये हैं जांच कमेटी में
कुछ रेजीडेंट ने सोशल साइट पर कर्मचारी नेताओं पर अभद्र टिप्पणी कर दी। इस मामले की शिकायत कर्मचारी परिषद के अध्यक्ष विकास सिंह ने चीफ प्रॉक्टर डॉ. आरएएस कुशवाहा से की। इसके सुबूत भी शिकायती पत्र के साथ संलग्न किए। चीफ प्रॉक्टर ने शिकायत गंभीरता से लिया। जांच के लिए गुरुवार को कमेटी गठित की। इसमें ट्रॉमा सेंटर के सीएमएस डॉ. यूबी मिश्रा, चिकित्सा अधीक्षक डॉ. बीके ओझा, दंत संकाय के डॉ. आरके चक, रेडियोथेरेपी विभाग की डॉ. कीर्ति श्रीवास्तव एवं फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. अनूप कुमार वर्मा शामिल है। कमेटी को जल्द से जल्द आख्या देने को कहा गया है।.
रेजिडेंट डॉक्टरों की शिकायत
रेजिडेंट डॉक्टरों को पार्किंग न देने के बाद विवाद में आया केजीएमयू प्रशासन ने संविदा कर्मचारियों पर भी मेहरबानी दिखाई है। रेजीडेंट डॉक्टरों का आरोप हैं कि शताब्दी हॉस्पिटल में बनी रिजर्व पार्किंग में दो संविदाकर्मियों के लिए पार्किंग आरक्षित कर दी गई है। ये दोनों रिसर्च स्कीम में कार्यरत हैं। रेजीडेंट डॉक्टरों ने इसकी अलग से शिकायत दर्ज की है।