उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने पीजीआई में कार्डियोलॉजिकल सोसायटी ऑफ इण्डिया के तीन दिवसीय सम्मेलन का किया उद्घाटन
लखनऊ। स्वस्थ राष्ट्र ही सम्पन्न व समृद्ध राष्ट्र बन सकता है। स्वास्थ्य सेवाओं में अधिक निवेश की आवश्यकता है। वर्तमान समय की जीवन शैली, भागा-भागी की जिन्दगी, खान-पान में बदलाव तथा शारीरिक परिश्रम का न होना अनेक बीमारियों का मुख्य कारण है। यह कहना है उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कही। शुक्रवार को उपराष्ट्रपति ने संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान में कार्डियोलॉजिकल सोसायटी ऑफ इण्डिया द्वारा तीन दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन बतौर मुख्य अतिथि के रूप में किया।
ईश्वर के बाद लोग चिकित्सकों को स्थान देते हैं
संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (पीजीआई) में तीन दिवसीय सम्मेलन के पहले दिन उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया ने अपने संबोधन में कहा कि इलाज के साथ-साथ रोगों से कैसे बचा जाये, इस पर भी जोर देने की आवश्यकता है। बड़े अस्पताल केवल शहरी क्षेत्र तक सीमित हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में अद्यतन चिकित्सा सुविधा पहुंचाने की ओर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि सरकार, चिकित्सक और मीडिया समाज में जागरूकता फैलाने में अग्रणी भूमिका निभा सकते हैं। उप-राष्ट्रपति ने कहा कि ईश्वर के बाद लोग चिकित्सकों को स्थान देते हैं। चिकित्सीय सेवा कमीशन नही मिशन के भाव से करें। चिकित्सक अपनी सेवाएं प्रदान करने में आनन्द महसूस करें।
जंक फूड और पश्चिमी रहन-सहन अधिकांश बीमारी की जड़
35 वर्ष से कम आयु के 25 प्रतिशत लोग हृदय रोग से ग्रसित हो रहे हैं। जंक फूड और पश्चिमी रहन-सहन अधिकांश बीमारी की जड़ है। रोगी सेवा में ज्यादा समय देना महा-आनन्द का कार्य होना चाहिए। विशेषज्ञ अनुसंधान के माध्यम से अपने ज्ञान का वद्र्धन करें। योग, शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। विदेशों में योग के केन्द्र खुले हैं। राज्यपाल राम नाईक ने उपस्थित लोगों को भारतीय नववर्ष की बधाई देते हुए कहा कि भारतीय नववर्ष सभी के जीवन में सुख और समृद्धि का संचार करे।
बिना व्यायाम के दिनचर्या ही हृदय रोग का बड़ा कारण
राज्यपाल ने कहा कि वे कार्डियोलॉजी के बारे में ज्यादा चर्चा नहीं कर सकते विख्यात उर्दू शायर मिर्जा ग़ालिब के एक शेर दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है, आखिर इस दर्द की दवा क्या है को उदधृत करते हुए कहा कि उनकी इच्छा है कि सम्मेलन में ऐसा विचार-विमर्श हो जिससे पीडि़त मानवता को हृदय रोग के दर्द से राहत मिले। उन्होंने कहा कि बदलती जीवन शैली, अनुचित खान-पान और बिना व्यायाम के दिनचर्या ही हृदय रोग का बड़ा कारण है। नाईक ने कहा कि हृदय रोग के रोगी न सिर्फ बढ़ रहे हैं बल्कि हृदय रोग विकसित देशों के साथ-साथ विकासशील देशों में भी फैल रहा है।
ग्रामीण क्षेत्र में भी आम आदमी हृदय रोग से पीडि़त
हृदय रोग के कारण निम्न एवं मध्यम आय वर्ग के लोगों पर आर्थिक बोझ भी बढ़ रहा है। पहले लोगों का मानना था कि हृदय रोग केवल सम्पन्न एवं धनी लोगों का रोग है पर आज ग्रामीण क्षेत्र में भी आम आदमी हृदय रोग से पीडि़त है। हमें इलाज के साथ-साथ लोगों को रोग से बचाव के बारे में शिक्षित करने की आवश्यकता है। जीवन की आपा-धापी और भाग-दौड़ से होने वाला मानसिक तनाव भी रोग का कारण है। उन्होंने कहा कि योग मन को शान्ति देता है।
उन्होंने विशेषज्ञों एवं चिकित्सकों का आवह्न करते हुए कहा कि वे नवोन्वेषण और अद्यतन ज्ञान के माध्यम से रोगियों को निदान दिलाने का प्रयास करें। इस अवसर पर डॉ. केवल चन्द्र गोस्वामी अध्यक्ष कार्डियोलॉजिकल सोसायटी आफ इण्डिया एवं डॉ. राकेश कपूर निदेशक संजय गांधी स्नातकोत्तर आर्युविज्ञान संस्थान ने भी अपने विचार रखे।