लखनऊ। आय से अधिक संपत्ति के मामले में केजीएमयू में कार्यरत प्रो. राजीव गुप्ता और उनकी पत्नी डॉ. सुनीता गुप्ता पर सीबीआई का शिकंजा कसता जा रहा है। गौरतलब है कि प्रो. राजीव गुप्ता की पत्नी रेल कोच फैक्ट्री रायबरेली में सीनियर डीएमओ के पद पर कार्यरत हैं। सीबीआइ जांच में आरोपित डॉक्टर दंपती की संपत्ति कुल आय से करीब 1.81 करोड़ रुपये अधिक पाई गई। यह रकम उनकी कुल आय से लगभग 86 फीसद अधिक है।
1.80 करोड़ रुपये का कोई हिसाब नहीं
संपत्ति को लेकर जांच कर रही सीबीआई को को वाजिब जवाब अभी नहीं दे पाए हैं। उनके पास 1.80 करोड़ रुपये का कोई हिसाब नहीं है। इस मामले को लेकर सीबीआई ने खुद ही मामला दर्ज कर विवेचना शुरू कर दिया है। यह मुकदमा सीबीआई लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच में सीबीआई के ही इंस्पेक्टर अनमोल सचान ने दर्ज कराया है। सीबीआइ ने 12 जुलाई 2016 को डॉक्टर दंपती के ठिकानों पर छापेमारी की थी, तब उनके घर से 1.59 करोड़ रुपये तथा डॉ. सुनीता के लॉकर से 9.43 लाख रुपये बरामद हुए थे।
अपर पुलिस अधीक्षक एएस तारियाल करेंगे विवेचना
पति-पत्नी के पास आय से अधिक संपत्ति होने के आरोप में यह मुकदमा आईपीसी की धारा 109 और प्रिवेंशन आफ करप्शन एक्ट 1987 की धारा 13 (2) व 13 (1) (ई) के तहत दर्ज किया गया है, जिसकी विवेचना अब सीबीआई के अपर पुलिस अधीक्षक एएस तारियाल करेंगे। संपत्तियों की जांच का यह सिलसिला वर्ष 2016 से चल रहा है। सीबीआई के छापों में मिले दस्तावेजों के आधार पर यह जांच चल रही थी, जो मूल रूप से डॉ. सुनीता गुप्ता से संबंधित थी।
कैंसर की दवाओं में घोटाले का आरोप
डॉ. सुनीता गुप्ता पर कैंसर की दवाओं में घोटाले का आरोप है। नार्दन रेलवे (मेकैनिकल) के डिप्टी चीफ विजिलेंस आफिसर विनोद कुमार ने 21 जनवरी 2016 को सीबीआइ से घोटाले की शिकायत की थी। उन्होंने नार्दन रेलवे के डिविजनल अस्पताल, लखनऊ के पूर्व सीएमएस डॉ.यूएस बंसल, तत्कालीन एसीएमएस डॉ. राकेश गुप्ता, तत्कालीन सीनियर डीएमओ डॉ. सुनीता गुप्ता, फार्मासिस्ट एसएन गुप्ता व एसएस मिश्र तथा अस्पताल सहायक ताराचंद पर कैंसर की दवाओं के नाम पर घोटाले का आरोप लगाया था।
14 ठिकानों पर छापे
इस शिकायत पर सीबीआइ ने जुलाई 2016 में लखनऊ व रायबरेली में आरोपितों के 14 ठिकानों पर छापे मारे थे। दवाओं की लोकल खरीद के नाम पर करीब तीन करोड़ की धांधली सामने आई थी। उल्लेखनीय है कि यह घोटाला वर्ष 2012 से 2014 के बीच हुए था। रेलवे अधिकारियों की ओर से आलमबाग कोतवाली में धांधली के मामले में एफआइआर दर्ज कराई गई थी। इसके कुछ दिन बाद ही रेलवे अस्पताल में घोटाले से जुड़े कई दस्तावेज जल गये थे। बाद में मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी।