लखनऊ। रंगी सब्जियां बेचने वालों की अब खैर नहीं। क्योंकि ऐसा करने वालों के खिलाफ अभियान चलाया जाएगा। यह अभियान बुधवार से सात अगस्त तक चलाया जाएगा। यह निर्देश खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग की अपर मुख्य सचिव डा.अनिता भटनागर जैन ने दी है।
नमूने लेकर भेजे जाएंगे जांच के लिए
डॉ. जैन ने बताया कि रंगी सब्जियों में हैवी मेटल व पेस्टीसाइड होने की भी संभावना होती है। अभियान के तहत ऑफ सीजन की सब्जियों विशेषकर धनिया, मेथी, पालक, पत्तागोभी, परवल, ब्रोकली, हरी मटर, करेला, तोरई एवं बैगन और अन्य पत्तेदार सब्जियों को फोकस किया गया है। मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी के नेतृत्व में खाद्य सुरक्षा अधिकारियों का दल रोज सब्जियों के नमूने लेगा। इन नमूनों को गुप्त रूप से आवंटित कर प्रदेश की मेरठ, आगरा, वाराणसी, झांसी, गोरखपुर, लखनऊ में स्थित प्रयोगशाला में जांचा जाएगा। सैम्पलों के प्रयोगशालाओं के जांच के बाद कार्रवाई की जायेगी जो सैम्पल असुरक्षित पाये जायेंगे उनके सम्बन्ध में खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम की धारा 59 (1) तहत कार्रवाई होगी।
सब्जियों को ऐसे जांचे
अपर मुख्य सचिव ने सुझाव दिया कि हरी सब्जियों में रंग को जनसामान्य भी टेस्ट कर सकता है। रूई को पानी अथवा खाद्य तेल में भिगोकर यदि हरी मिर्च के बाहरी हिस्से को रगड़ा जाए तो उसमें हरा रंग है तो वह रूई में दिखायी पड़ता है। हरी मटर को शीशे के ग्लास में पानी में भरकर आधा घंटे रखने पर उसमें रंग की पहचान की जा सकती है। परवल के डंठल वाले बिन्दु पर ध्यान से देखने पर जमा रंग स्पष्ट दिखायी देता है।