लखनऊ। संयुक्त स्वास्थ्य आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारी उत्तर प्रदेश ने लंबित विभिन्न मांगों के निराकरण करवाए जाने पर चर्चा कर आगे की रणनीति तैयार कर ली है। सभी कर्मचारियों ने एकजुट होकर आह्वान किया कि अपनी मांगों को पूरा कराने के लिए हम लोग हर तरह से आंदोलन को तैयार हैं। नए सरकार के गठन होने के बाद कर्मचारी संगठन प्रदेश के लाखों आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को लेकर सरकार से अपने हक की लड़ाई लड़ेगा।
इन पर की चर्चा
शनिवार को संयुक्त स्वास्थ्य आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारी उत्तर प्रदेश की बैठक किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय लखनऊ में संपन्न हुई। बैठक में कर्मचारियों ने आउटसोर्सिंग नियमावली ना लागू होने, समान कार्य समान वेतन ना दिए जाने के साथ ही प्रदेश के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों के कर्मचारियों का वेतन कम कर दिए जाने पर रोष व्यक्त किया।
धन उगाही का काम कर रहीं एजेंसियां
प्रदेश मीडिया प्रभारी सच्चिदानंद मिश्रा ने अपने संबोधन में कहा कि पिछले एक वर्ष से सरकार के प्रतिनिधियों ने केवल आश्वासन दिया है नियमावली बनाए जाने की बात करते हुए केवल संगठन को गुमराह किया गया। कर्मचारियों का इतना कम वेतन में लगातार उत्पीडऩ किया जा रहा है। दूसरी ओर शासन की इस भ्रष्ट व्यवस्था में नौकरी के नाम पर एजेंसियां धन उगाही का कार्य कर रही हैं। तमाम विभागों में भ्रष्टाचार का पर्याय बन रही आउटसोर्सिंग व्यवस्था को शासन के अधिकारियों द्वारा और तेजी से बढ़ाया जा रहा है और संगठन की आवाज को दबाया जा रहा है।
युवाओं का किया जा रहा शोषण
प्रदेश अध्यक्ष रितेश मल्ल ने कहा कि पूर्ण बहुमत कि सरकार बनाए जाने में जहां युवाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है वही इन्हीं युवाओं का बड़े पैमाने पर शोषण किया जा रहा है और इनका भविष्य चौपट किया जा रहा है अब कतई यह सब बर्दाश्त नहीं होगा। चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा के कर्मचारियों का उचित वेतन निर्धारण हो और आउटसोर्सिंग की स्थाई नीति तैयार करते हुए कर्मचारियों के समायोजन की व्यवस्था की जाए।
चलाया जाएगा जन जागरण अभियान
कर्मचारी संघ की बैठक में सर्वसम्मति से यह फैसला लिया गया कि अपनी मांग को पूरा कराने के लिए बड़े आंदोलन के साथ ही प्रदेश के समस्त जनपदों में जन जागरण अभियान चलाकर युवाओं को आउटसोर्सिंग की भ्रष्ट व्यवस्था से अवगत कराया जाएगा साथ ही प्रदेश के समस्त युवाओं से अपील की जाएगी कि इस भ्रष्ट व्यवस्था के तहत कार्य ना करें ।किसी भी विभाग के आउटसोर्सिंग एजेंसी द्वारा नौकरी ना करते हुए इस व्यवस्था को बंद कराने में सहयोग करें फिर देखते हैं सरकार अपने सैकड़ों विभाग किन कर्मचारियों द्वारा चलाती है।
संविदा कर्मचारी सरकार गठन के बाद बंद करेंगे काम
बरसों से कर्मचारी न्यूनतम वेतन पर कार्य कर रहे हैं जिन के वेतन में कोई महंगाई भत्ता नहीं दिया जाता और नहीं तो सरकार ने चिकित्सा शिक्षा विभाग के 19 मेडिकल कॉलेज के हजारों कर्मचारियों का वेतन पहले से घटाकर कम कर दिया। शासन का रवैया अब कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। संविदा कर्मचारी संघ अपनी तैयारी में लगा हुआ है और जल्द ही सरकार के गठन होते ही प्रदेश के चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा चिकित्सा शिक्षा विभाग को पूरी तरह से बंद कर दिया जाएगा।
जल्द ही बड़े आंदोलन की घोषणा
परिणाम जो भी हो कर्मचारी हर स्तर पर निपटने को तैयार है क्योंकि इस प्रकार की नौकरी का ना ही कोई अस्तित्व है और ना ही जीविकोपार्जन में कोई बहुत बड़ा सहयोग है। सभी जनपद इकाइयों की बैठक के बाद जल्द ही बड़े आंदोलन की घोषणा की जाएगी। बैठक में जनपद लखनऊ और केजीएमयू शाखा के तमाम पदाधिकारियों सहित अन्य कर्मचारी उपस्थित थे।