लखनऊ। शरीर के किसी भी जगह मोच आने पर बर्फ से सिंकाई करनी चाहिए,इतना ही नहीं बर्फ से सिंकाई 48 घंटे तक नियमित अंतराल पर करना फायदेमंद होता है। जबकि अक्सर लोग मोच आने पर गरम पानी को किसी वर्तन में भरकर या किसी अन्य वस्तु से गर्म सिंकाई करते हैं ,जो फायदा करने के बजाय नुकसान करने लगता है।
मालिश करना भी नुकसान
इतना ही नहीं मोच वाली जगह की मालिश करना भी नुकसान पहुंचाता है। यह कहना है केजीएमयू के स्पोटर्स मेडिसिन (आर्थोपेडिक) विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो.आशीष कुमार का। वह रविवार को गोमती नगर स्थित एक होटल में यूपी आर्थोपेडिक एसोसिएशन की ओर से आयोजित ट्रामा कार्यशाला में चिकित्सकों को संबोधित कर रहे थे।
यह होता है
उन्होंने बताया कि मालिस करने से फटी मसल्स और खून के थक्के से मायोसाइटिस नाम की नई हड्डी बन जाती है। जिसके लिए सर्जरी ही एकमात्र इलाज बचता है। अगर मोच थोड़ी गंभीर हो तो तीन हफ्ते के लिए कच्चा प्लास्टर लगवा लेना चाहिए। उन्होंने बताया कि झोलाछापों के फेर में पड़कर लोग ज्यादा नुकसान कर लेते हैं। इनसे हमेशा दूर रहना ही बेहतर है।
डॉक्टर ने यह बताया
इस अवसर पर केजीएमयू के आर्थोपेडिक विभाग के प्रो. संतोष कुमार ने बताया कि सड़क दुर्घटनाओं में लोगों की हड्डियां कई जगह से टूट जाती हैं। उनको जोडऩे में लॉकिंग कंप्रेशन प्लेट (एलसीपी) की बड़ी भूमिका रहती है। यह हड्डीयों के आकार की ही होती हैं। इनको छोटी हड्डीयों में भी आसानी से लगाया जा सकता है। प्रो. संतोष कुमार ने बताया कि फैक्चर के मामले महिलाओं में सबसे ज्यादा आ रहे हैं। कैल्शियम और विटामिन डी की कमी की वजह से महिलाओं की हड्डीयां कमजोर हो रही हैं। 40 साल की महिलाओं में यहा समस्या ज्यादा देखने को मिलती है।
इन्होंने संबोधित किया
कार्यक्रम में डा.संतोष सिंह, डा.संजीव अवस्थी, डा. जान मुखोपाध्याय, डा.आशीष बाबुलकर,डा. विकास गुप्ता, डा.सुधीर वारियर, डा.अतुल श्रीवास्तव, डा. जमाल अशरफ, डा.संजय धवन, डा.संजय श्रीवास्तव, डा.पी के कंचन और डा. विनीत शर्मा ने भी संबोधित किया।