डेस्क। आज महिलाएं, पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर चलने लगी हैं लेकिन फिर भी इन दोनों के बीच का फर्क आज भी नहीं मिट पाया है। हमारी सभ्यता और संस्कृति में आज भी महिलाओं को पुरुषों से कम समझा जाता है। जैविक रूप से महिलाओं को कई तरह की दिक्कतों जैसे माहवारी का सामना करना पड़ता है। कई हिस्सों में आज भी इस मुद्दे पर खुलकर बात नहीं की जाती है। लोगों की जीवनशैली, खाने के तरीके में तो बदलाव आ गया है लेकिन माहवारी को लेकर उनकी मानसिकता वहीं की वहीं है।
पुराणों में माहवारी
एक बार की बात है तब गुरु बृहस्पति को इंद्र देव पर क्रोध आ गया था। इस बात का फायदा उठाकर असुरों ने देवलोक पर आक्रमण कर दिया। तब इंद्र देव डरकर अपना साम्राज्य छोड़ भाग खड़े हुए। इस समस्या के निदान के लिए इंद्र देव ब्रह्मा जी के पास पहुंचे तब उन्हें ज्ञात हुआ कि उन्हें किसी ऋषि की सेवा करनी होगी। ब्रह्मा जी ने इंद्र से कहा कि अपना साम्राज्य वापिस पाने के लिए आपको किसी ऋषि की सेवा करनी होगी और यदि वे प्रसन्न होते हैं तो आपको अपना राजपाठ वापस मिल जाएगा। तब इंद्र एक ऋषि की सेवा करने लगे किंतु उन्हें ये नहीं पता था कि उस ऋषि की मां एक असुर थी। इंद्र देव को पता चला कि वे देवताओं की जगह असुरों को हवन सामग्री दिया करते थे। इंद्र देव ने ऋषि का वध कर दिया। इसके बाद इंद्र पर ब्राह्मण की हत्या का पाप लग गया। इसके बाद एक साल तक इंद्र देव एक फूल के अंदर छिपकर भगवान विष्णु से प्रार्थना करने लगे प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने दर्शन दिए और उन्हें इस पाप से मुक्त होने के लिए एक सलाह दी। इंद्र देव को अपने पास का हिस्सा पेड़, पृथ्वी, जल और स्त्री को देने के लिए कहा लेकिन साथ ही उन्हें एक आशीर्वाद देने को भी कहा।
वृक्ष को मिला ये श्राप
वृक्षों को श्राप के हिस्से के साथ ये वरदान मिला कि वे जब चाहें खुद को वापिस पुनर्जीवित कर सकते हैं।
जल को मिला श्राप का चौथा हिस्सा
जल को श्राप के हिस्से के साथ ये वरदान मिला कि वो दुनिया की अन्य चीजों को पवित्र कर सकता है। इसीलिए हिंदू धर्म में जल को पवित्र माना जाता है।
पृथ्वी का श्राप
श्राप के साथ पृथ्वी को ये वरदान मिला कि उसमें रोगमुक्त करने की शक्ति होगी।
महिलाओं को श्राप में मिली माहवारी
महिलाओं को इस श्राप में हर महीने माहवारी का दर्द मिला लेकिन इसके साथ ही उन्हें वरदान में संतान को जन्म देकर पुरुषों से सर्वोपरि बना दिया गया। महिलाओं के मासिक चक्र के बारे में पुराणों में यही कथा प्रचलित है।