लखनऊ। लापरवाही के मामले में बलरामपुर के पूर्व सीएमएस को मानवाधिकार आयोग ने नोटिस भेजा है। मरीज के भाई की शिकायत पर आयोग ने कड़ा रुख अपनाते हुए कड़ी फटकार लगाते हुए तलब किया है। आरोप है कि पूर्व सीएमएस ने बलरामपुर अस्पताल में भर्ती के दौरान दूसरे निजी अस्पताल में बुलाने का दबाव बनाया था। इसके अलावा वसूली और अभद्रता करते हुए मांग पूरी न होने पर केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया था।
आयोग ने मरीज के भाई के शिकायती पत्र का संज्ञान में लेकर कार्रवाई की है। वहीं इस मामले में बलरामपुर अस्पताल के वर्तमान निदेशक को भी नोटिस भेजा गया है। वहीं बलरामपुर अस्पताल वर्तमान सीएमएस डॉ. ऋषि सक्सेना ने कहा कि इस मामले की जानकारी नहीं है। मुझे कोई पत्र नहीं मिला है। मामले की जानकारी कराई जाएगी।
अपने निजी क्लीनिक में बुलाया
लखनऊ के अरुण कुमार आरोप है कि छोटे भाई को रंजिश के चलते कुछ लोगों ने पीटा था। उसने भाई को 27 मार्च, 2018 को बलरामपुर अस्पताल में भर्ती कराया था। यहां पर 29 मार्च, 18 को पूर्व सीएमएस डॉ. आई. शरण ने निराला नगर स्थित अपने निजी क्लीनिक में बुलाया और दो हजार रुपए फीस लेने के बाद मरीज को इन्दिरा नगर रिंग रोड सेक्टर-21 स्थित सेंटर ऑफ न्यूरो साइंस एवं ट्रॉमा सेंटर ले जाने को कहा। यह भी कहा कि वहां मरीज का इलाज खुद करेंगे। आर्थिक स्थिति सही न होने पर अरुण भाई को लेकर इन्दिरा नगर नहीं जा सका। इस पर डॉ. शरण ने नाराजगी जताते हुए मरीज को केजीएमयू या पीजीआई ले जाने के लिए जबरन रेफर कर दिया।
निदेशक ने भी नहीं की कार्रवाई
अरुण का आरोप यह भी है कि पूर्व सीएमएस डॉ. आई. शरण की शिकायत 10 अप्रैल, 18 को बलरामपुर निदेशक से की। लेकिन निदेशक ने अपने कार्यालय में बुलाकर डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाए शिकायती पत्र वापस लेने का दबाव बनाया। यही नहीं निदेशक खुद वार्ड में गए और मरीज भाई को डराया, धमकाया और अभद्र भाषा का प्रयोग किया। इस पर अरुण ने निदेशक और पूर्व सीएमएस के खिलाफ चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा के महानिदेशक, मानवाधिकार आयोग से मामले की शिकायत की। मरीज की शिकायत पर करीब तीन दिन पहले बलरामपुर अस्पताल के पूर्व सीएमएस डॉ. शरण और वर्तमान निदेशक के खिलाफ मानवाधिकार आयोग से नोटिस आया है। आयोग ने दोनों ही अफसरों को तलब भी किया है। मामला बढ़ता देख सभी अफसर मामले को दबाने में जुटे हैं।