लखनऊ। बदलती जीवनशैली के कारण दिल की बीमारी का खतरा बढ़ रहा है। आज का युवा तनाव से दूर रहने के लिए कम उम्र में ही सिगरेट का सेवन करने लगता है। हार्ट अटैक के लिए धूम्रपान खतरनाक है। फल और हरी सब्जियों की जगह जंक फूड का इस्तेमाल ज्यादा कर रहे हैं। उक्त बातें प्रेसक्लब में प्रेसवार्ता के दौरान कुर्सी रोड स्थित एसएस हॉर्ट केयर सेंटर के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. साजिद ने कही।
35 से 40 वर्ष तक के युवाओं में बीमारी
उन्होंने कहा कि 35 वर्ष तक पांच से 10 फीसदी युवाओं में दिल की गंभीर बीमारी हो रही है। समाज में हृदय रोगों (सीवीडी) की स्थिति चिंताजनक है। सीवीडी में मुख्य तौर पर इस्केमिक हृदय रोग और स्ट्रोक आते हैं। डॉ. अंसारी ने बताया कि अब तक यह बीमारी 55 या 60 वर्ष के लोगों में पायी जाती थी। लेकिन अब बदलती जीवनशैली, काम का दबाव और तनाव लेने से यह बीमारी 35 से 40 वर्ष तक के युवाओं में देखने को मिल रही है।
बच सकते हैं बीमारी से
यदि आप आयुर्वेदिक नुस्खों को अपनाते हैं तो दिल की बीमारी से बचा जा सकता है। बदलती जीवनशैली में यह बहुत जरूरी है। विश्व हृदय दिवस के पूर्व टूडिय़ागंज स्थित राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज के चिकित्सा प्रमुख डॉ. कमल सचदेवा ने बताया कि अब युवाओं में भी दिल की बीमारी देखी जा रही है।
ऐसा है आयुर्वेदिक उपचार
डॉ. कमल सचदेवा ने कहा कि तुलसी का सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल और ब्लडप्रेशर नियंत्रित रहता है। जबकि लहसुन का प्रयोग करने से हृदय मजबूत होता है। दिल को स्वस्थ रखने के लिए अर्जुनछाल पाउडर (आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी) को शहद में गर्म पानी के साथ मिलाकर पीने से भी बहुत फायदा होता है। पुष्कर मूल और ब्राह्मी से चेस्ट पेन, अर्जुना जनरल हॉर्ट केयर, अभ्रक भस्म और जवाहर मोहरा कार्डियोजेनिक शॉक कंडीशन में प्रयोग करना चाहिए। इसके लिए आयुर्वेदिक डॉक्टर से सही डोज का पता करना भी बहुत जरूरी है।