घुटनों में दर्द की समस्या से कई लोग परेशान रहते हैं। वैसे तो घुटने के दर्द में दवा और फिजियोथेरेपी काफी कारगर साबित होती है। इसके बाद भी समस्या का समाधान नहीं होता है तो इससे राहत पाने के लिए ऑर्थोप्लास्टी (घुटने की सर्जरी) का भी विकल्प अपना सकते हैं। इसमें सर्जरी कर खराब जोड़ को धातु के जोड़ से बदल दिया जाता है।
क्या है नी रिप्लेसमेंट
यह सर्जरी लगभग एक से दो घंटे प्रक्रिया वाली है। इसमें ऑर्थोपेडिक सर्जन क्षतिग्रस्त घुटने के भाग (कार्टिलेज और हड्डी) को बाहर निकालकर घुटने के आकार के अनुसार खास धातु से बने नए जोड़ को प्रत्यारोपित कर देते हैं। मरीज की शारीरिक स्थिति और अपनाई गई सावधानियों से मरीज की रिकवरी जल्दी होती है। दर्द कम करने और जल्दी रिकवरी के लिए कुछ दवाएं भी देते हैं। 2-3 सप्ताह में मरीज ठीक हो जाता है।
ऑपरेशन से पहले रखें इनका ध्यान
सर्जरी से पहले मरीज की आवश्यक जांचें कराते हैं ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि मरीज की स्थिति ऑपरेशन के लिए है या नहीं। इसमें ब्लड टैस्ट के अलावा शुगर व हाई ब्लड प्रेशर की जांच प्रमुख है। साथ ही ध्यान रखा जाता है कि किस प्रकार की बेहोशी मरीज को देना ठीक रहेगा।
किसे पड़ती है जरूरत
इस सर्जरी को बुजुर्गों के अलावा वे व्यक्ति भी करा सकते हैं जिन्हें घुटने में किसी प्रकार की क्षति पहुंची हो या किसी दुर्घटना के कारण चलने-फिरने में दिक्कत होती है। इसके अलावा विभिन्न अवस्थाओं में यह सर्जरी उपयोगी है जैसे ऑस्टियोआर्थराइटिस, रुमेटॉइड आर्थराइटिस, घुटने में विकृति होना, अधिक वजन के कारण घुटने को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए यह सर्जरी की जा सकती है।
सावधानी भी बरतें
सर्जरी के बाद मरीज सीधे सोने की सलाह देते हैं ताकि घुटने पर जोर न पड़े। सर्जरी के बाद 6-7 हफ्ते तक ड्राइविंग न करें। ड्राइविंग से घुटनों पर जोर पड़ता है। फिजियोथैरेपी नियमित कराएं ताकि प्रभावित अंग में रक्तसंचार बना रहे।