लखनऊ। जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों में गुरुवार को 6 माह की आयु पूरी कर चुके बच्चों का अन्नप्राशन कराया गया। अन्नप्राशन में बच्चों को खीर खिलाई गई। इस दौरान पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता धनदेवी ने बताया कि 6 माह तक बच्चों को केवल स्तनपान कराना चाहिए। यहां तक कि बच्चों को पानी भी नहीं देना चाहिए क्योंकि मां के दूध में पर्याप्त पानी होता है। 6 माह के बाद ही ऊपरी आहार शुरू करना चाहिए। 6 माह के बाद जैसे-जैसे बच्चा बढ़ता है उसकी पोषण संबंधी आवश्यकताएं बढ़ती हैं जिनकी पूर्ति मां के दूध से नहीं हो पाती है।
ऐसे करनी चाहिए शुरुवात
धनदेवी ने बताया कि जिन बच्चों की 6 माह की आयु पूरी हो गयी थी, ऐसे बच्चों की माताओं व परिवार के सदस्यों को केंद्र पर बुलाया गया। बच्चों को खीर चटाकर उनका अन्नप्राशन किया गया। माताओं व परिवार के सदस्यों को बताया कि 6 माह के बाद ऊपरी आहार के रूप में दलिया, सूजी की खीर, मसला हुआ आलू, मसली हुयी दाल व चावल इत्यादि में थोड़ा सा घी या तेल डालकर बच्चे को 2-3 बड़े चम्मच प्रतिदिन से शुरुआत करनी चाहिए जिसे धीरे-धीरे 250 मिली की आधी कटोरी तक बढ़ाना चाहिए। इसके अलावा पोषाहार से अन्य स्वादिष्ट व्यंजन जैसे बर्फी, लड्डू, मठरी व अन्य पदार्थ बनाना भी बताया गया।
ऐसा भी करें
मुख्य सेविका शशि ने बताया कि 9-11 माह की आयु वाले बच्चों को प्रतिदिन 250 मिली की आधी कटोरी दिन में 3-4 बार खिलनी चाहिए तथा साथ में स्तनपान भी जारी रखना चाहिए। वहीं 12-24 माह की आयु के बच्चों को स्तनपान के साथ 250 मिली की एक कटोरी दिन में 3-4 बार देनी चाहिए। बच्चों को भोजन के साथ साथ स्तनपान व भूख के आधार पर 1-2 बार नाश्ता भी देना चाहिए।
हर केंद्र को 250 रुपए की धनराशि
मोहनलालगंज ब्लॉक की बाल विकास परियोजना अधिकारी सरोज पांडे ने बताया कि 6 माह के बाद बच्चे की पोषण संबंधी आवश्यकताएं बढ़ जाती हैं जिनकी पूर्ति स्तनपान के साथ साथ अद्र्ध ठोस आहार जैसे मसली हुयी दाल, चावल, केला, सूजी व मसले हुये आलू से होती है। इन्हीं ऊपरी आहार संबंधी जरूरतों के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से इस कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। इस आयोजन के लिए हर केंद्र को 250 रुपए की धनराशि भी दी जाती है।