नई दिल्ली। बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से हो रही मौतों से देश में हाहाकार मचा हुआ है। लोग घरों से निकलकर सड़क पर प्रदर्शन करने लगे। केंद्र की ओर से एक टीम का गठन कर वहां भेजा भी गया। लेकिन हो रही मौतों पर लगाम नहीं लग सका है। गौरतलब है कि अबतक मुजफ्फरपुर में 146 बच्चों की मौत हो चुकी है। एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम यानी चमकी बुखार का कोई इलाज अबतक नहीं है।
चमकी बुखार अबतक ‘अज्ञात श्रेणी’ के तहत सूचीबद्ध
अब एक बड़ी खबर सामने आ रही है कि दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानि एम्स इस बीमारी (सिंड्रोम) के पीछे के वास्तविक कारणों पर अध्ययन करने जा रहा है। गौरतलब है कि चमकी बुखार अबतक ‘अज्ञात श्रेणीÓ के तहत सूचीबद्ध है।
इस पर केंद्रित होगा
अगले महीने एम्स में शुरू होने वाली इस रिसर्च को केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी लिमिटेड ने सीएसआर गतिविधि के हिस्से के रूप में वित्त पोषित किया है। सेंटर ऑफ एक्सीलेंस एंड एडवांस्ड रिसर्च फॉर चाइल्डहुड न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर, एम्स, इन तीव्र और उप-तीव्र एईएस सिंड्रोम के पीछे के कारणों का पता लगाने के लिए रिसर्च की देखरेख करेगा। इस अध्ययन में क्रोनिक एन्सेफलाइटिस/ एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम जो 1 महीने से 18 साल की उम्र तक के बच्चों को प्रभावित करता है, उसपर ध्यान केंद्रित होगा।
बढ़ती जा रही है मृत्यु दर
एम्स के पीडियाट्रिक्स विभाग की प्रमुख प्रोफेसर शेफाली गुलाटी ने कहा, हमें एईएस के मामलों का इलाज बीमारी के बाद करना होगा, हर साल इस बीमारी की वजह से वहां मृत्यु दर बढ़ती जा रही है। यह अध्ययन हमें इस बीमारी के पीछे के सटीक कारण जानने में मदद करेगा। उन्होंने कहा, अध्ययन महत्वपूर्ण है क्योंकि एईएस के साथ एम्स आने वाले मरीज न केवल दिल्ली या बिहार से हैं, बल्कि सार्क क्षेत्र भी शामिल है। इस रिसर्च में, डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया, दाद, जापानी बी एन्सेफलाइटिस, मेनिन्जाइटिस, ई कोलाई, एच इन्फ्लूएंजा, निमोनिया जैसे वायरस का अध्ययन किया जाएगा।