वाशिंगटन। विश्व की 95 फीसदी आबादी दूषित हवा में सांस ले रही है और वैश्विक तौर पर प्रदूषण से होने वाली मौतों में 50 फीसदी के लिए चीन और भारत अकेले जिम्मेदार हैं। सीएनएन के अनुसार बोस्टन स्थित हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट (एचईआई) की सालाना वैश्विक वायु स्थिति रपट के अनुसार लंबे समय तक वायु प्रदूषण के प्रभाव में रहने वाला जोखिम 2016 में दुनिया भर में अनुमानित 61 लाख लोगों की मौत का कारण बना है।
रपट में कहा गया है कि 11 लाख के आंकड़े के साथ भारत और चीन वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों में शीर्ष पर हैं। चीन ने वायु प्रदूषण घटाने में कुछ प्रगति की थी लेकिन भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में 2010 से वायु प्रदूषण के स्तर में सबसे ज्यादा वृद्धि हुई है।
सीएनएन ने एचईआई के उपाध्यक्ष बॉब ओकीफे के मंगलवार को दिए एक बयान के हवाले से कहा कि वायु प्रदूषण दुनिया भर में बड़ी संख्या में मौतों के लिए जिम्मेदार है, जो श्वांस रोग से पीडि़त लोगों के लिए सांस लेना मुश्किल कर देता है युवाओं और वृद्धों को अस्पताल भेज देता है, स्कूल और काम छूट जाते हैं और जल्दी मौत का कारण बन जाता है।