लखनऊ। 22 साल पहले एक शख्स को 315 बोर की गोली लगी थी। उस समय उसने मौत को मात दी थी, आज उसकी जान खतरे में है। यह जानकारी तब हुई जब उसके पेट में दर्द हुआ। दर्द से बेहाल शख्स के पेट में दो दशक से धंसी गोली को देखकर भौंचक्के हुए डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए हैं। दो वर्ष से हल्के दर्द से परेशान अशर्फीलाल को 22 अगस्त की रात सांस लेने में दिक्कत हुई तो परिवारजन निजी मेडिकल कॉलेज ले आए। जांच में रीढ़ की हड्डी के पास गोली मिली।
मामले की शिकायत केजीएमयू प्रशासन से करूंगा
काकोरी के उदय खेड़ा निवासी अशर्फीलाल (53) के मुताबिक, 22 साल पहले दोस्त के संग दुबग्गा आए थे, तभी एक युवक ने सामने से गोली दागी थी। गोली सीधे पेट में लगी और वह खून से लथपथ होकर गिर गए थे। पुलिस बलरामपुर अस्पताल ले आई। जहां से केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया गया। रात को ही ऑपरेशन हुआ। गोली से क्षतिग्रस्त दाहिनी किडनी, गॉल ब्लैडर निकाल दिए गए। चोटिल लिवर की रिपेयङ्क्षरग हुई। अगले दिन होश आया तो स्टाफ ने गोली निकल जाने की बात कही। माह भर तक भर्ती रखा। डिस्चार्ज होने के बाद हालत सही रही। अब पता चला कि गोली शरीर में पड़ी है। मामले की शिकायत केजीएमयू प्रशासन से करूंगा।
यह कहा अधिकारी ने
केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ. संदीप तिवारी के मुताबिक, गन शॉट के मरीज में पहले क्षतिग्रस्त अंग रिपेयर किए जाते हैं। गोली निकालना प्राथमिकता नहीं होती। गोली जब खिसककर त्वचा की ओर आती है तो निकाल दी जाती है। शरीर के अंदर गोली पड़ी होने पर मेडिकल रिपोर्ट पर दर्ज करना जरूरी नहीं है। मरीज केजीएमयू में दोबारा आकर दिखा ले, उसकी समस्या का समाधान हो जाएगा।