लखनऊ। लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को कहा कि पहले इंसेफेलाइटिसके लिए लड़ा। अब सड़क हादसे चुनौती हैं। इसके लिए कार्ययोजना बनाई है। 2017 में इसेफेलाइटिस को लेकर समन्वय बनाया। कई विभागों को जोड़ा। अब हादसे रोकने के लिए यह काम करना होगा।
मौका था, साइंटिफिक कंवेंशन सेंटर में इंडियन सोसाइटी ऑफ ट्रामा एंड एक्यूट केयर (आइएसटीएसी) की तीन दिवसीय नौवीं राष्ट्रीय संगोष्ठी का। कार्यक्रम में सीएम ने कहा कि 2016 तक जिला अस्पताल में इंसेफेलाइटिस के उपचार के साधन नहीं थे। हमने दो वर्ष में इसे 35 फीसदी तक कम किया है। मौत के आंकड़े 65 प्रतिशत कम हुए हैं, जो न्यूनतम है।
10 मिनट में पहुंचेगी एम्बुलेंस
योगी ने कहा कि हम आपदा से निपटने के लिए काम कर रहे हैं। एसडीआरएफ को केजीएमयू में ट्रेनिंग कराया जा रहा है। 108 102 डायल 100 के सभी को रिस्पांस टाइम को कम कर रहे हैं। इसे इटीग्रेट करके 10 मिनट पर ले आ रहे हैं।
प्रदेश में पहली बार केजीएमयू ट्रामा सर्जरी विभाग द्वारा आयोजन
ट्रामा पहुंचने वाले मरीजों को सही समय पर सही उपचार से 80 प्रतिशत लोगों की जान बचाई जा सकती है। इस स्थिति में सुधार लाने के लिए प्रदेश में पहली बार केजीएमयू ट्रामा सर्जरी विभाग द्वारा इंडियन सोसाइटी ऑफ ट्रामा एंड एक्यूट केयर (आइएसटीएसी) की तीन दिवसीय नौवीं राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया है। गौरतलब है कि ट्रामा से देशभर में एक साल में करीब पांच लाख लोगों की मौत हो जाती है साथ ही करीब साढ़े 10 लाख लोग विकलांग हो जाते हैं।
इस पर होगी चर्चा
ट्रामा सर्जरी के विभागाध्यक्ष संदीप तिवारी ने बताया कि देशभर से संगोष्ठी में 300 डॉक्टर व 100 पैरामेडिकल स्टाफ शामिल होंगे। इस दौरान पहले दो दिन ट्रामा की स्थिति में क्या उपचार करें व क्या सावधानी बरती जानी चाहिए इस पर चर्चा होगी। वहीं तीसरे दिन वेंटिलेटर पर कैसे इलाज दिया जाए इस पर वर्कशाप होगी। डॉ. संदीप तिवारी व प्रो. समीर मिश्र ने बताया कि ट्रामा से यूपी में पिछले वर्ष 80 हजार मौतें हुई। इसमें सड़क हादसों में 20 हजार मौतें हुई। उन्होंने बताया कि देश भर में यूपी सड़क हादसे में होने वाली मौतों के मामले में पहले स्थान पर है। सही व समय पर उपचार से इसे कम किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि तमिलनाडु हादसे के मामले में पहले स्थान पर है, लेकिन मौत के मामले में तीसरा स्थान है।
इंसेफेलाइटिस पर सीएम ने कही ये बात
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि 2 साल में इंसेफेलाइटिस में 35 फीसदी तक की कमी आई है। मौत के आंकड़ों में 65 प्रतिशत तक की कमी दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि 1998 में बीआरडी गोरखपुर में इंसेफेलाइटिस के खिलाफ लड़ाई शुरू हुई। वार्ड बनाया गया और दवा आई, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में सुविधाओं का अभाव रहा। जिला अस्पतालों में भी इलाज की पुख्ता व्यवस्था नहीं थी। यही वजह है कि इंसेफेलाइटिस के प्रति हमारी लड़ाई कमजोर साबित हुई।
ड्राइवर का कराया जा रहा मेडिकल जांच
मुख्यमंत्री ने कहा दुर्घटना बाहुल्य क्षेत्रों को चिन्हित करने का काम किया जा रहा है और वहां पर सुरक्षा के इंतजाम किए जा रहे हैं। यातायात नियमों का कड़ाई से पालन कराया जा रहा है। परिवहन बस के ड्राइवर का मेडिकल जांच कराया जा रहा है। अब हर साल आंखों की जांच के बाद ही लाइसेंस मिलेगा। ड्राइवर को मेडिकल जांच के लिए छुट्टी दी जा रही है। कार्यक्रम में चिकित्सा शिक्षामंत्री सुरेश खन्ना और स्वास्थ्य मंत्री जेपी सिंह, डीजीपी ओपी सिंह समेत स्वास्थ्य विभाग के जुड़े डॉक्टर्स मौजूद थे।