लखनऊ। लंग कैंसर यानि फेफड़ों का कैंसर एक जानलेवा बीमारी है। पूरी दुनिया में होने वाले कैंसरों में सबसे अधिक फेफड़े के कैंसर रोगी ही पाए जा रहे हैं। भारत में यह कैंसर प्रतिवर्ष 6,9 प्रतिशत और दोनों΄ लिंगों में कैंसर से संबंधित मौतों का आंकड़ा 9,3 प्रतिशत की दर से बढ़ गया है। तकरीबन 21 लाख नए फेफड़ों के कैंसर के मामले और 18 लाख लोगो की मौत लंग कैंसर के कारण हुई है।
बढ़ती उम्र सबसे बड़ा कारण
अपोलोमेडिक्स सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल लखनऊ के मेडिकल और हेमेटो ओन्कोलॉजिस्ट डॉ. हर्षवर्धन आत्रेय ने बताया भारत में स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा सबसे आम फेफड़ों का कैंसर बन गया है। अधिकांश कैंसर के लिए बढ़ती उम्र सबसे बड़ा कारण है।
फेफड़ों के कैंसर के अन्य कारकों΄ में तंबाकू का उपयोग वायु प्रदूषण, रेडिएंट थेरेपी से छाती का एक्सपोजर, घर या कार्यस्थल में रेडॉन गैस का संपर्क, मेडिकल इमेजिंग परीक्षण टोमोग्राफी सीटी स्कैन परमाणु बम विकिरण, वायु प्रदूषण वाले क्षेत्र में रहना, फेफड़ों के कैंसर का पारिवारिक इतिहास एड्स संक्रमण भी मौजूद हैं।
ऐसे दिखते हैं लक्षण
डॉ. हर्षवर्धन ने बताया फेफ ड़ो का कैंसर आमतौर पर इसके शुरुआती चरणों में΄ संकेत और लक्षण नहीं΄ पैदा करता है। वायू प्रदूषण के चलते भी फेफड़ों का कैंसर हो रहा है। अब धूम्रपान रोकने के साथ वायु प्रदूषण को भी रोकने की बात होनी चाहिए। साथ ही तीन सप्ताह से लगातार खांसी आना, थूक के साथ खून निकलना, खांसी के साथ रक्त आना, ज्यादा लंबी सांस लेने में दिकत होना, लगातार वजन कम होना, हड्डी का दर्द व सिरदर्द अन्य लंग कैंसर के लक्षण हैं।
समय रहते करा लें स्क्रीनिंग
कैंसर के प्रकार और चरण और संभावित साइड इफेट्स सहित कई कारकों पर निर्भर करती है। फेफ ड़ों के कैंसर की चिकित्सा शुरुआती स्टेज में शल्य चिकित्सा से किया जा सकता है। स्टेज 3 या 4 के रोगियों की चिकित्सा कीमोथेरेपी एवं रेडियेशन के माध्यम से किया जा सकता है। लंग कैंसर के उपायों के बारे में डॉ. हर्षवर्धन ने कहा फेफड़े का कैंसर देश में सबसे बड़ा हत्यारा है और हमें सचेत रहना होगा।
फेफड़ों के कैंसर की पहचान करना अभी भी उतना आसान नहीं है, लेकिन अगर इसके लक्षणों के आधार पर समय रहते स्क्रीनिंग कराई जाये तो मरीज की जान बचाई जा सकती है। फेफ ड़े के कैंसर के अधिकांश मामले धूम्रपान से संबंधित होते हैं जोकि इस बीमारी का सबसे बड़ा कारक है। धूम्रपान करने वाले लोग धूम्रपान रोकने से फेफड़ों के कैंसर के खतरे को कम कर सकते हैं।