नई दिल्ली। भारत के डॉक्टरों ने वह काम कर दिया जो बड़े-बड़े वैज्ञानिक नहीं कर सकें। यह नया कारनामा दिल्ली स्थित एम्स के डॉक्टरों ने किया है।
डॉक्टरों ने एक शोध कर यह साबित कर दिया है कि सालों-साल बुढ़ापे को मात आखिर कैसे दिया जा सकता है। डॉक्टरों के इस्तेमाल किए गए तकनीक को जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे। डॉक्टरों का यह शोध अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल (बीएमजे जेरियाट्रिक) में प्रकाशित किया गया है।
ऐसे किया शोध
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डॉक्टरों द्वारा किए गए शोध में यह बात सामने आई है कि नॉर्डिक वॉक के अभ्यास व भरपूर पोषण के लिए पूरक पोषाहार का इस्तेमाल कर लंबे समय तक अपने आपको जवान रखा जा सकता है। जेरियाट्रिक विभाग के डॉक्टरों ने 60 वर्ष से अधिक उम्र के 66 लोगों पर शोध किया। इन सभी बुजुर्गों को ए, बी और सी कैटेगरी में बांटा गया था। सभी कैटेगरी में 22 लोगों को शामिल किया गया था। इन सभी कैटेगरी के लोगोंं को उम्र के अनुसार बांटा गया था और उसके आधार पर ही शोध शुरू किया गया।
उपचार के लिए अलग-अलग विभागों में भेजा
कैटेगरी ए में औसतन 75.7 वर्ष, कैटेगरी बी में औसतन 75.68 वर्ष और कैटेगरी सी में औसतन 77.4 वर्ष के लोगों को शामिल किया गया था। इन सभी लोगों को एम्स के ओपीडी में उपचार के लिए अलग-अलग विभागों में भेजा गया। रिपोर्ट के अनुसार 45.45 फीसद बुजुर्ग कुपोषण से पीडि़त थे। इसके अलावा 43.94 प्रतिशत लोगों का पोषण का स्तर निम्न पाया गया। इस रिपोर्ट के आधार पर रिसर्च के दौरान कैटेगरी ए के लोगों को 12 सप्ताह तक 36 बार नॉर्डिक वॉक का प्रशिक्षण दिया गया। सप्ताह में तीन बार यह प्रशिक्षण दिया गया और हर बार एक घंटे तक उसका अभ्यास कराया गया। वहीं कैटेगरी बी के लोगों को सिर्फ पूरक पोषाहार दिया गया और कैटेगरी सी के बुजुर्गों को दोनों चीजें उपलब्ध कराई गई।
बुजुर्गों की निर्बलता दूर
इस शोध के बाद देखा गया कि जो बुजुर्ग सी कैटेगरी में थे उनके मांसपेशियों में मजबूती आने लगी थी। मतलब जो छड़ी के सहारे चलते थे वे अब बिना छड़ी के तेजी से चलने लगे थे। वहीं, शोध के दौरान 18.18 फीसद बुजुर्गों की निर्बलता दूर हो गई। डॉक्टर कहते हैं कि यदि बुजुर्गों को लंबे समय तक नॉर्डिक वॉक कराया जाए व साथ में प्रोटीन युक्त पूरक पोषाहार दिया जाए तो परिणाम और बेहतर हो सकते हैं।