लखनऊ। अब बिना सर्जरी के गर्भाशय के अंदर होने वाली गांठों और अंडाशय में बनने वाली गांठों का इलाज संभव है। यह इलाज एमआरआई गाइडेड फोक्सड अल्ट्रासाउंड तकनीक से संभव हो सका है। यह जानकारी इंडियन एसोकसएशन ऑफ गायनकोलॉजिकल एंडोस्कोपिस्ट की अध्यक्ष डॉ. रिशिमा ढिल्लन पाई ने एसोसिएशन के वार्षिक अधिवेशन पर आयोजित कार्यक्रम में कही। एक होटल में आयोजित इस कार्यक्रम का शुभारंभ उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने किया।
बांझपन या अन्य समस्याएं
डॉ. रिशिमा ढिल्लन पाई ने ने कहा कि गर्भाशय के अंदर होने वाली गांठों (फाइब्राइड) और अंडाशय में बनने वाली गांठों (पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम) की समस्या से देश में करीब 20 फीसदी महिलाएं फाइब्राइड से परेशान है। वहीं अंडाशय में बनने वाली गांठों की समस्या से करीब 35 फीसदी महिलाएं परेशान हैं। यह समस्या 18 साल से भी कम उम्र की किशोरियों में भी देखने को मिल रही हैं। ऐसे में इनका इलाज सर्जरी के द्वारा करने पर आगे चलकर बांझपन या अन्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती है।
यह होता है एमआरआई विधि में
एमआरआई विधि से हीट रेज को फाइब्राइड वाले हिस्से पर डालते हैं। हीट रेज थेरेपी देने से फाइब्राइड तक पहुंचने वाली ब्लड सप्लाई रुक जाती है। ब्लड सप्लाई बंद होने से फाइब्राइड धीरे-धीरे छोटा होकर खत्म होने लगता है। यही ट्रीटमेंट ओवरी में होने वाली सिस्ट में भी उपयोग होता है।
यह भी है विकल्प
डॉ. रिशिमा ढिल्लन ने यह भी बताया कि कुछ ऐसे भी मामले सामने आए हैं जिनमें गर्भाशय में 10 से 15 गांठे बन जाती हैं। इस तरह का मल्टीपल सिस्ट बनने से सर्जरी ही एक मात्र विकल्प बचता है। ऐसे में मल्टीपल गांठ निकालने के लिए अब रोबोटिक सर्जरी का भी विकल्प है। रोबोटिक सर्जरी में रोबोट के जरिए एंडोस्कोपिक सर्जरी की जा सकती है।