नई दिल्ली। हमारे शरीर के लिए आयुर्वेद खास महत्व रखता है। हम आपको कुछ ऐसे तरीके बताएंगे जो आपके लिए लाभकारी है। सबसे पहले हम आपको मुलेठी के बारे में बताने जा रहे हैं।
यह स्वाद में मीठी मुलेठी कैल्शियम, ग्लिसराइजिक एसिड, एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटीबायोटिक, प्रोटीन और वसा के गुणों से भरपूर होती है। इसका इस्तेमाल नेत्र रोग, मुख रोग, कंठ रोग, उदर रोग, सांस विकार, हृदय रोग, घाव के उपचार के लिए सदियों से किया जा रहा है। यह बात कफ, पित्त तीनों दोषों को शांत करके कई रोगों के उपचार के लिए रामबाण का काम करती है।
नेत्रों के रोग दूर होते हैं
पतंजलि आयुर्वेद हरिद्वार के आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि मुलेठी के क्वाथ से नेत्रों को धोने से नेत्रों के रोग दूर होते हैं। मुलेठी की मूल चूर्ण में बराबर मात्रा में सौंफ का चूर्ण मिलाकर एक चम्मच सुबह-शाम खाने से आंखों की जलन मिटती है तथा आंखो की रोशनी बढ़ती है। मुलेठी को पानी में पीसकर उसमें रूई का फाहा भिगोकर नेत्रों पर बांधने से नेत्रों की लालिमा मिटती है।
कान और नाक के लिए
यही नही मुलेठी कान और नाक के रोग में भी लाभकारी है। मुलेठी और द्राक्षा से पकाए हुए दूध को कान में डालने से कर्ण रोग में लाभ होता है। 3-3 ग्राम मुलेठी तथा शुंडी में छह छोटी इलायची तथा 25 ग्राम मिश्री मिलाकर, क्वाथ बनाकर 1-2 बूंद नाक में डालने से नासा रोगों के लिए फायदेमंद है।
मुंह के छाले
मुंह के छाले मुलेठी मूल के टुकड़े में शहद लगाकर चूसते रहने से लाभ होता है। मुलेठी को चूसने से खांसी और कंठ रोग भी दूर होता है। सूखी खांसी में कफ पैदा करने के लिए इसकी 1 चम्मच मात्रा को मधु के साथ दिन में 3 बार चटाना चाहिए। इसका 20-25 मिली क्वाथ सुबह-शामपीने से श्वास नलिका साफ हो जाती है। मुलेठी को चूसने से हिचकी दूर होती है।
दिल और पेट के लिए
मुलेठी दिल के रोग के लिए भी लाभकारी है। 3-5 ग्राम तथा कुटकी चूर्ण को मिलाकर 15-20 ग्राम मिश्री युक्त जल के साथ प्रतिदिन नियमित रूप से सेवन करने से हृदय रोगों में लाभ होता है। इसके सेवन से पेट के रोग में भी आराम मिलता है। मुलेठी का क्वाथ बनाकर 10-15 मिली मात्रा में पीने से उदरशूल मिटता है।
घाव भरना हो तो
त्वचा रोग भी यह लाभकारी है। फेफड़ों पर मुलेठी का लेप लगाने से वे जल्दी पककर फूट जाते हैं। मुलेठी और तिल को पीसकर उससे घृत मिलाकर घाव पर लेप करने से घाव भर जाता है।