एचबीए-2 जांच से पता लग सकता है बीमारी का, दो हजार में एक बच्चे को हो सकती है खून न बनने की ये बीमारी

मां या पिता की जांच
थैलेसीमिया कैरियर का पता लगाने के मां या पिता की जांच की जाती है। यदि दोनों इस बीमारी के कैरियर हैं तो बच्चे को भी थैलेसीमिया होने की संभावना होती है। संजय गांधी पीजीआई के मेडिकल जेनेटिक्स विभाग की हेड प्रो. शुभा फडके के अनुसार थैलेसीमिया का पता लगाने के लिए माता-पिता बनने से पहले दंपति को थैलेसीमिया जांच करानी चाहिए। हीमोग्लोबिन ए-2 नाम की इस जांच से ये पता लगाया जा सकता है कि मां या पिता थैलेसीमिया बीमारी के कैरियर तो नहीं हैं। इससे ही इस अनुवांशिक बीमारी के साथ पैदा होने वाले बच्चे के जन्म को रोका जा सकता है।
गर्भस्थ शिशु की तीन माह के अंदर खून की जांच
प्रो. फडके ने बताया कि गर्भवती को खून की जांच करा के कैरियर होने का पता लगाना चाहिए। यदि मां कैरियर निकलती है तो फिर पिता की जांच भी करायी जाती है। यदि दोनों ही थैलेसीमिया के कैरियर निकलते हैं तो गर्भस्थ शिशु की तीन माह के अंदर खून की जांच की जाती है। यदि गर्भस्थ शिशु भी बीमारी से ग्रस्त मिलता है तो परिवार को गर्भपात कराने की सलाह दी जाती है। प्रो. शुभा फडके ने बताया कि संजय गांधी पीजीआई में हीमोग्लोबिन ए-2 जांच की सुविधा उपलब्ध है। इसके अलावा इस बीमारी का पता लगाने का कोई तरीका नहीं है।
अनुवांशिक बीमारी की जरूर कराएं जांच
ऐसे परिवार जिनके बच्चों में पहले थैलेसीमिया बीमारी किसी को रही हो वहां विवाह के पहले जन्म कुंडली मिलाने के साथ ही लड़के-लड़की का एचबीए-2 परीक्षण कराया जाए। यदि दोनों में इसका स्तर बढ़ा होता है उनके शिशु में मेजर थैलेसीमिया बीमारी की आशंका २० प्रतिशत रहती है।
क्यों जरूरी है जांच
गर्भधारण करते समय महिला की उम्र ३५ साल से अधिक हो।
परिवार में कोई मंदबुद्धि बच्चा या व्यक्ति हो।
पहले से किसी को थैलेसीमिया, हीमोफीलिया, मस्क्युलर डिस्ट्राफी बीमारी हो।
यदि माता-पिता दोनों ही किसी अनुवांशिक बीमारी के वाहक हों।
गर्भधारण के बाद मिर्गी की दवा खाई हो या फिर कोई संक्रमण हो गया हो।
परिवार में जन्मजात मृत शिशु पैदा हुआ हो।
परिवार के एक से अधिक सदस्य एक जैसी ही बीमारी से ग्रस्त हों।
महिला का पति के परिवार से खून का रिश्ता हो।
गर्भ की अल्ट्रासाउंड जांच में किसी खराबी का पता चला हो।
परिवार में पहले किसी बच्चे में पैदाइशी विकृति हो।
आंत की बनावट में खराबी हो।
ये ध्यान रखें डॉक्टर
गर्भवती से परिवार में बीमरियों का इतिहास पूछें।
पति-पत्नी दोनों की थैलेसीमिया जांच जरूर कराएं।
16 सप्ताह का गर्भ होने पर ट्रिपल टेस्ट जरूर कराएं।
16 से 18 सप्ताह में अल्ट्रासाउंड कराकर विकृतियों की पहचान करें।