रेबीज किस जानवर के काटने से होता है। रेबीज का वायरल कैसे शरीर को प्रभावित करता है। आपको यह भी जानना चाहिए कि जानवरों के काटने के बाद सबसे पहले क्या करें और क्या न करें। इस लेख में हम आपको रेबीज के लक्षण और इसके बचाव के तरीकों के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। हर साल दुनिया भर में 50 हजार से अधिक मौतें इससे होती हैं। यह आंकड़े विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जारी किए हैं।
क्या है रेबीज
रेबीज एक ऐसा वायरल इंफेक्शन है, जो आमतौर पर संक्रमित जानवरों के काटने से फैलता है। कुत्ते, बिल्ली, बंदर आदि कई जानवरों के काटने से इस बीमारी के वायरस व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। रेबीज का वायरस कई बार पालतू जानवर के चाटने या खून का जानवर के लार से सीधे संपर्क में आने से भी फैल जाता है। रेबीज एक जानलेवा रोग है जिसके लक्षण बहुत देर में नजर आते हैं। अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए, जो यह रोग जानलेवा साबित हो जाता है।
रेबीज का वायरस कैसे करता है प्रभावित
रैबीज व्यक्ति के शरीर को दो तरह से प्रभावित करता है। रैबीज वायरस व्यक्ति के नर्वस सिस्टम में पहुंचकर दिमाग में सूजन पैदा करते हैं। जिसकी वजह से व्यक्ति या तो जल्द कोमा में चला जाता है या उसकी मौत हो जाती है। कभी-कभी उसे पानी से भी डर लगता है। इसके अलावा कुछ लोगों को लकवा भी हो सकता है। इसके अलावा यह वायरस, मानव त्वचा या मांसपेशियों के संपर्क में आने के बाद रीढ़ की हड्डी और मस्तिष्क की ओर प्रसारित हो जाता हैं। इस वायरस के मस्तिष्क में पहुंचने के बाद, इसके लक्षण और संकेत संक्रमित व्यक्ति में दिखाई देने लगते हैं।
रैबीज के लक्षण
बुखार, सिरदर्द, घबराहट या बेचैनी, चिंता और व्याकुलता, भ्रम की स्थिति, खाना-पीना निगलने में कठिनाई, बहुत अधिक लार निकलना, पानी से डर लगना, अनिद्रा, एक अंग में पैरालिसिस यानी लकवा मार जाना आदि।
जानवर के काटने पर क्या करें
-अगर रेबीज से संक्रमित किसी बंदर या कुत्ते आदि ने काट लिया तो तुरंत इलाज करवाएं।
-काटे हुए स्थान को कम से कम 10 से 15 मिनट तक साबुन या डेटौल से साफ करें।
-जितना जल्दी हो सके वेक्सिन या एआरवी के टीके लगवाएं।
-पालतू कुत्तों को इंजेक्शन लगवाएं।
जानवर के काटने पर क्या न करें
– अगर रेबीज से संक्रमित किसी कुत्ते या बंदर आदि के काटने पर इलाज में लापरवाही न बरतें।
– काटे हुए जख्म पर मिर्च न बांधे।
– घाव अधिक है तो उस पर टांके न लगवाएं।
– रेबीज के संक्रमण से बचने के लिए कुत्ते व बंदरों आदि के अधिक संपर्क में न जाए।
72 घटे बाद नहीं होता असर
यदि किसी भी व्यक्ति को रेबीज संक्रमित किसी जानवर ने काट लिया और उसने 72 घंटे के भीतर अपना इलाज नहीं करवाया तो उसके बाद वैक्सिन या एआरवी के टीके लगावने का कोई फायदा नहीं है। इसलिए जितना जल्दी हो सके वैक्सिन व एआरवी के टीके अवश्य लगवाएं।
लापरवाही न बरतें
एम्स के मेडिसन विभाग के डॉक्टर नवल विक्रम का कहना है कि कुत्ते, बिल्ली या किसी अन्य जानवर के काटने पर बिल्कुल भी लापरवाही न बरतें। अगर हल्का सा भी निशान है तो एंटी रेबीज इंजेक्शन जरूर लगाने चाहिए। रेबीज खतरनाक है मगर इसके बारे में लोगों की कम जानकारी और ज्यादा घातक साबित होती है। आमतौर पर लोग मानते हैं कि रेबीज केवल कुत्तों के काटने से होता है मगर ऐसा नहीं है। कुत्ते, बिल्ली, बंदर आदि कई जानवरों के काटने से वायरस व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। कई बार कटे अंग पर पालतू जानवर के चाटने या खून का जानवर के लार से सीधे संपर्क से भी ये रोग फैल सकता है।