लखनऊ। स्टाफ नर्सों को 9 माह से वेतन नसीब नहीं हुआ है। या यह भी कह सकते हैं कि जब से इनकी ज्वाइनिंग हुई है तब से इन्हें सैलरी मिली ही नहीं है। जिला चिकित्सालय, ट्रामा सेन्टर, सीएचसी, पीएचसी आदि में अगस्त 2018 में 4031 स्टाफ नर्स की तैनाती सेवा प्रदाता फर्म अवनि परिधि प्रा.लि. द्वारा की गयी थी।
सभी 4031 स्टाफ नर्स को अगस्त 2018 से जून 2019 तक एक भी माह का वेतन भुगतान नहीं हुआ। 9 माह के वेतन भुगतान के लिए अगले सप्ताह प्रदेश के सभी आउटसोर्सिंग स्टाफ नर्स लखनऊ में प्रदर्शन करेंगे।
शासन से बजट जारी नहीं
बिना वेतन 9 माह काम करवा कर कुछ लोगों को मार्च (31 मार्च) 2019 तथा कुछ को 30 जून 2019 को नौकरी से निकाल दिया। कर्मचारी एजेन्सी के सीएमएस से वेतन की मांग किए तो बताया गया कि शासन से बजट जारी नहीं है।
वेतन गबन का आरोप
शासन के स्वास्थ्य विभाग के कुछ अधिकारी व सेवा प्रदाता फर्म मेसर्स अवनि परिधि प्रा.लि. के मेलजोल से 4000 स्टाफ नर्स का 79 करोड़ 20 लाख का वेतन गबन किया है। नाराज मजबूर कर्मचारी नौकारी से हटाये जाने पर जिलाधिकारी, मुख्य चिकित्साधिकारी, मण्डलाययुक्त, अपर श्रमायुक्त आदि के कार्यालय पर आवाज लगा रहे हैं। उन्हे लाचार होकर वापस आना पड़ रहा है।
घोटाले के बाद भी ठेका
आउटसोर्सिंग व्यवस्था को तेजी से बढ़ाती हुई सरकार लगातार युवाओं का शोषण कर रही है तथा कुछ अधिकारी पैसे का बंदरबाट कर रहे हैं। बार-बार वेतन मे घोटाला होने के बाद भी सभी एजेन्सी को ठेका शासन द्वारा दिया जा रहा है। तमाम ब्लैक लिस्टेड कम्पनी आज भी मैन पावर का काम कर रही है।
यहां तीन माह से वेतन बकाया
संयुक्त स्वास्थ्य आउटसोर्सिंग/संविदा कर्मचारी संघ उप्र द्वारा शासन से मांग की जा रही है कि वेतन भुगतान व उन कर्मचारियों को पुन: सेवा में वापस लिया जाए। केजीएमयू में 7 एजेंजी पर 100 करोड़ ईपीएफ घोटले का मुकदमा उच्च न्यायालय में होने के बाद भी प्रशासन ने अभी तक एजेंसी को बाहर नही किया। प्रदेश के मेडिकल कॉलेज, मेरठ, बांदा, सहारनपुर, इलाहाबाद में अभी भी हजारों कर्मचारियों का तीन माह का वेतन बकाया है। स्वास्थ्य विभाग के यूपीएचएसपी परियोजन में 5000 कर्मचारियों को मार्च 2019 से अब तक 4 माह का वेतन नहीं मिला।