लखनऊ। ऑस्टियोपोरोसिस आज के समय में बढ़ती हुई समस्या है। यह हड्डियों से जुड़ी बीमारी है। इससे खासकर महिलाओं को ज्यादा परेशानी होती है। भारत में हर आठ में से एक पुरुष और हर तीन में एक महिला ऑस्टियोपोरोसिस की शिकार है। आंकड़ों के मुताबिक भारत में इस समय लगभग तीन करोड़ लोग ऑस्टियोपोरोसिस के शिकार हैं। लेकिन अब आपको इसके इलाज के लिए ज्यादा रुपये खर्च करने की जरूरत नहीं है। कम खर्च में ही आपको इलाज मिल सकेगा।
सीडीआरआइ वैज्ञानिकों का कमाल
अब ऑस्टियोपोरोसिस का इलाज सिर्फ 100 रुपये में संभव हो सकेगा। महिलाओं को होने वाली ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या से निपटने के लिए अब महंगे हार्मोनल इंजेक्शन लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीडीआरआइ) के वैज्ञानिकों ने इसके लिए बेहद सस्ता उपचार खोज निकाला है। महज सौ रुपये प्रति माह खर्च पर एक गोली महिलाओं की हड्डियों को मजबूत बनाए रखने में मदद करेगी।
बोन एनाबॉलिक थेरेपी
रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) के बाद आस्टियोपोरोसिस महिलाओं को होने वाली आम समस्या है। इसमें हड्डियां खोखली होकर टूटने लगती हैं। महिलाएं चलने-फिरने में लाचार हो जाती हैं। वर्तमान में उपचार में बोन एनाबॉलिक थेरेपी होती है, जिसमें हर दिन टेरिपैराटाइड इंजेक्शन दिया जाता है। महंगा होने के साथ ही इंजेक्शन का रखरखाव भी मुश्किल होता है। इसे फ्रिज में रखना जरूरी होता है और दक्ष व्यक्ति ही लगा सकता है। इन जटिलताओं के चलते ही इलाज काफी मुश्किल होता है। वहीं, इलाज पर प्रति माह लगभग सात हजार रुपये तक का खर्च आता है।
चूहों और खरगोश पर प्रयोग सफल
सीडीआरआइ के इंडोक्राइनोलॉजी विभाग के चीफ साइंटिस्ट डॉ. नैवेद्य चट्टोपाध्याय बताते हैं कि ऑस्टियोपोरोसिस के इलाज के लिए एक ऐसी दवा की जरूरत थी, जिससे बीमारी आसानी से दूर हो जाए। शोध में देखा गया कि पैंटोक्सिफायलिन दवा का प्रयोग इंटरमिटेंट क्लाडिफिकेशन (बढ़ती उम्र में होने वाली परिधीय धमनी की बीमारी, जिसमें पिंडलियों में तेज दर्द होता है) के लिए काफी कारगर रहा।
हार्मोनल इंजेक्शन के बजाय गोली कारगर
डॉ. चट्टोपाध्याय बताते हैं कि शोध में पैंटोक्सिफायलिन का महज छठवां भाग खरगोशों और चूहों को देने पर हड्डियों का द्रव्यमान (बोन मास), शक्ति, सूक्ष्म संरचना और गुणवत्ता में वही सुधार आया जो इंजेक्शन देने पर होता है। इससे साबित हो गया कि मेनोपॉज के बाद होने वाली ऑस्टियोपोरोसिस में हार्मोनल इंजेक्शन के बजाय गोली कारगर है।
एम्स में होगा ट्रायल
यह शोध बोन एंड कैल्सिफाइड टिश्यू इंटरनेशनल जैसे प्रतिष्ठित जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) से फंडिंग मिलते ही एम्स दिल्ली में दवा का ट्रायल शुरू किया जाएगा।
किडनी के मरीजों के लिए शोध शुरू
किडनी फेल्योर के मरीजों में भी ऑस्टियोपोरोसिस की विकट समस्या होती है। वैज्ञानिकों ने अब इस औषधि का परीक्षण किडनी मरीजों में करना आरंभ कर दिया है।
ये है ऑस्टियोपोरोसिस
हड्डियों में होने वाली ऐसी समस्या, जिसमें हड्डियां खोखली होने लगती हैं। मरीज यदि बैठे-बैठे लुढ़क भी जाए तो फ्रैक्चर हो सकता है। इस कारण पीडि़त मरीज में सबसे अधिक फ्रैक्चर रीढ़ व कूल्हे की हड्डी में होता है, जिससे मरीज लाचार होकर बिस्तर पर लेट जाता है।