लखनऊ। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ रिप्रोडक्शन की रिपोर्ट में चौकाने वाला खुलासा हुआ है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि करीब 60 फीसदी महिलाएं जिन्हें बच्चे नहीं हो रहे थे, वे टीबी से ग्रसित पाई गईं। यह घातक बीमारी बांझपन का कारण बनता जा रहा है। उक्त बातें प्रेस क्लब में विश्व टीबी दिवस पर आयोजित एक जागरुकता समारोह में केजीएमयू के असोसिएट प्रोफेसर डॉ. वेद प्रकाश ने कही।
पुरुषों में भी बांझपन की समस्या
कई बार बच्चेदानी फैलोपियन ट्यूब में टीबी हो जाती है। इसकी वजह से गर्भ नहीं ठहरता है। इसके अलावा ओवरी में 20 से 30 फीसदी तक टीबी होने की वजह से मां बनने का सुख महिलाओं को नहीं मिल पाता है। इतना ही नहीं टीबी की वजह से पुरुषों में भी बांझपन की समस्या आ जाती है। ऐसे में बांझपन की समस्या बढ़ती जा रही है। 90 फीसदी जननांगों का टीबी रोग 15 से 40 साल की उम्र की महिलाओं में पाया जा रहा है।
शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है बीमारी
बच्चों में होने वाला क्षय रोग उनके विकास को भी प्रभावित करता है। टीबी सिर्फ फेफड़े की बीमारी ही नहीं यह शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है। यह रोग अब जननांगों को भी प्रभावित कर रहा है। केजीएमयू पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि टीबी को जागरुकता से खत्म किया जा सकता है। केजीएमयू पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के डॉ. राजीव गर्ग और आरएएस कुशवाहा ने कहा कि पक्का इलाज संभव है बशर्ते उसका पूरा इलाज किया जाए।