लखनऊ। गर्भ में पल रहे बच्चे को दवाओं आदि के जरिए भविष्य में होने वाले संक्रमण से बचाया जा सकता है। इसके लिए पति-पत्नी दोनों को अपना जेनेटिक टेस्ट करवा लेना चाहिए। अगर कोई खतरनाक बीमारी देने वाला जीन्स पति-पत्नी दोनों में कॉमन है यानी दोनों में है तो थैलेसीमिया जैसी बीमारियों के होने की संभावना बढ़ जाती है।
यह बात यह बात सर गंगा राम अस्पताल दिल्ली की डॉ रेनू सक्सेना ने यहां चल रही मॉलिक्यूलर बायोलॉजी यूनिट, सेंटर फॉर एडवांस रिसचज़् और जीनोम फाउंडेशन, इंग्लैंड, यूनाइटेड किंगडम द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित तीन दिवसीय कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन मंगलवार को कही।
उन्होंने कहा कि इसी प्रकार यदि पहला बच्चा थैलेसीमिया या इसी प्रकार के जेनेटिक रोग से ग्रस्त है तो दूसरा बच्चा गभज़् में आने के बाद उसकी गभज़् में ही जांच करा लेनी चाहिये कि आगे चलकर इसे वही रोग होने की संभावना तो नहीं है और उसी हिसाब से पति-पत्नी यह प्लान करें कि उन्हें बच्चा चाहिये या गभज़्पात कराना है।
एचपीवी वायरस का कारण ओरल सेक्स
कॉन्फ्रेंस की आयोजक डॉ. नीतू सिंह ने कहा कि एक स्टडी के अनुसार कैंसर के लिए जिम्मेदार एचपीवी यानी ह्यूमैन पैपलोमावायरस से दांतों में संक्रमण पाया गया। उन्होंने बताया कि दांतों ओर मसूढ़ों के बीच में जमने वाली सफेद पतज़् एचपीवी के चलते पायी गयी। उन्होंने बताया कि एचपीवी की दांतों के बीच उपस्थिति से कैंसर भी हो सकता है।
एचपीवी वायरस अधिकतर जननांगों और उसके आसपास पाया जाता है, इसके मुंह में पहुंचने की वजह ओरल सेक्स है। उन्होंने स्टडी के बारे में बताया कि पेरियोडोंटिक्स विभाग की मदद से हमने 100 केसेज लिए इनमें 40 केस मिले जिनमें एचपीवी की मौजूदगी हो सकती थी इन लोगों की जांच की गयी तो इनमें से छह लोग ऐसे थे जो एचपीवी पॉजिटिव थे इनमें एक व्यक्ति में एचपीवी 16 पॉजिटिव पाया गया।
इन्होंने यह कहा
काडिज़्फ यूनिवसिज़्टी, इंग्लैंड के डॉ. धावेन्द्र कुमार ने टारगेट मॉलिक्यूलर थेरेपी के बारे में जानकारी दी। जबकि यूनिवसिज़्टी ऑफ मेनचेस्टर से आए प्रोफेसर विलियम न्यूमेन ने पसज़्नलाइजिड मेडिसिन के बारे में विस्तार से जानकारी साझा की। इसके साथ ही संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट की प्रोफेसर शोभा फड़के ने जिनोम सिंड्रोम के डिसचाजज़् के बारे में चचाज़् करते हुए इसके निदान व उपचार के बारे में कायज़्शाला में बताया।
दूसरे दिन मुख्य रूप से सीएसआईआर-सीडीआरआई के प्रोफेसर बीएन सिंह, बेंग्लुरू के प्रोफेसर संजीवा जीएन, सर गंगा राम अस्पताल सक्सेना ने अपने विचार व अनुभव चिकित्सकों, प्रोफेससज़् एवं छात्र-छात्राओं से साझा किए। गौरतलब है कि तीन दिवसीय इस कायज़्शाला का शुभारम्भ 19 नवंबर को किया गया था, जो 21 नवंबर तक चलेगी।