लखनऊ। सेप्सिस एक ऐसी बीमारी है जो हमारे शरीर की कार्यक्षमता को पूरी तरह से प्रभावित करता है। यह बीमारी इंफेक्शन से होती है। इस बीमारी मरीज वेंटीलेटर पर चला जाता है। केजीएमयू के पल्मोनरी एण्ड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग में 70 से 80 फीसदी वेंटीलेटर के मरीज इस बीमारी से पीडि़त पाए गए हैं।
उक्त बातें पल्मोनरी एण्ड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के डॉक्टर वेद प्रकाश ने कही। उन्होंने कहा कि इससे बचने के लिए हेल्दी लाइफ स्टाइल अपनाएं और इंफेक्शन से बचने के लिए सफाई बहुत जरूरी है।
जागरूक किया
13 सितंबर को वल्र्ड सेप्सिस डे के अवसर पर जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। यह कार्यक्रम शताब्दी चिकित्सालय फेस-2 के द्वितीय तल स्थित विभाग के सेमिनार कक्ष में किया गया। यहां सेप्सिस के कारण होने वाले मल्टी आर्गन फेल्योर और बढ़ते हुए दवाओं के प्रतिरोध के बारे में चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टाफ को जागरूक किया गया।
सैप्सिस के लक्षण
-तेज बुखार
-शरीर के किसी हिस्से में सूजन
-सूजन वाले हिस्से में दर्द
-चक्कर आना
-ब्लड प्रेशर में गिरावट
इन्हें है सबसे ज्यादा खतरा
कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि जिन लोगों की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है उन्हें इस बीमारी की समस्या सबसे ज्यादा होती है। अगर कहा जाए तो इस बीमारी से पीडि़त होने की संभावना वयस्कों में 90 फीसदी और बच्चों में 70 फीसदी होती है। यही नहीं उन्होंने आगे बताया कि इस रोग की संभावना 65 वर्ष से अधिक और एक साल से कम आयु के रोगियों में सबसे ज्यादा होती है। फेफड़ा, पेशाब की नली, त्वचा और पेट संबंधी संक्रमण में सेप्सिस रोग होने की संभावना अधिक होती है। उन्होंने कहा कि हमारे विभाग में 60 से 70 फीसदी मरीजों की जान बचाई जाती है।
यह खास बात डॉक्टर की ओर से
इसे रोकने के लिए होने वाले संक्रमण को रोकना होगा। इसके साथ ही डॉक्टर वेद ने बताया कि मरी जब खुद से ही एंटीबायोटिक दवाइयां लेता है तो मरीज मल्टी ड्रग रजिस्टेंट बैक्टीरियो से संक्रमित होने की संभावना बढ़ जाती है। इस तरह के इस्तेमाल से सेप्सिस रोगियों की संख्या बढ़ती है।