लखनऊ। हमारे देश में निमोनिया और डायरिया घातक संक्रामक बीमारियां हैं। जो पांच वर्ष से कम उम्र के ज्यादातर बच्चों के मौत का कारण बनती है। यह कहना है इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक आईएपी के प्रदेश संयुक्त सचिव डा.आशुतोष वर्मा का। वह मंगलवार को इम्युनाइजेशन डे के अवसर पर लोगों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने बताया कि इन बीमारियों से बचाने के लिए सबसे शक्तिशाली उपकरण टीकाकरण के तौर पर मौजूद है। स्थाई और गहन टीकाकरण के माध्यम से ही स्मॉल पॉक्स और पोलियो जैसी घातक बीमारियों से दुनिया को मुक्ति दिलाई है। उन्होंने बताया कि जिन बीमारियों का निराकरण टीकाकरण से संभव है। उसे धार देने की जरूरत है। इसे कई बच्चों की जान बचाई जा सकती है। उन्होंने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक रिपोर्ट के मुताबिक इम्युनाइजेशन से हर वर्ष २० से ३० लाख मौतों से बचा जा सकता है। वर्ष २०१७ में आये निमोनिया एंड डायरिया रिपोर्ट के अनुसार भारत में इन रोगों के खिलाफ टीकाकरण कार्यक्रम विस्तार से जहां ९० हजार बच्चों की जान बचाई जा सकती है, वहीं दूसरी तरफ १ अरब डालर से अधिक की बचत भी की जा सकती है। इसी के मद्देनजर इस वर्ष इम्युनाइजेशन सप्ताह २४ से ३० अप्रैल के बीच मनाया जा रहा है। इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के विशेषज्ञों ने वैक्सिस प्रीवेंट, वैक्सिस प्रोटेक्ट संदेश के साथ पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों का जीवन बचाने के लिए राष्टï्रीय इम्युनाइजेशन के प्रयासों के लिए पूरे समर्थन में आ गये हैं।