लखनऊ। हरदोई के एक 14 साल के बच्चे की रीढ़ की हड्डी जन्म से ही टेढ़ी थी। लिंब सेंटर के कर्मचारियों ने एक नया उपकरण तैयार किया और उसे बच्चे के रीढ़ फिट करने से करीब 18 फीसदी रीढ़ की हड्डी सीधी हो गई।
इस उपकरण का नाम मिलवैकी ब्रेश रखा है। वहीं इस उपकरण के बनने से डॉक्टर और कर्मचारी काफी खुश हैं। इसकी लागत भी काफी कम है।
यह बताया डॉक्टर ने
हरदोई के किशोर के लगाया उपकरण हरदोई के धूंधी गांव निवासी नितिन (14) की रीढ़ की हड्डी जन्म से टेढ़ी है। उसका इलाज डिपार्टमेंट ऑफ फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन (लिंब सेंटर) के प्रमुख डॉ. अनिल कुमार गुप्ता कर रहे हैं। डॉ. गुप्ता ने बताया कि इस बीमारी को स्कोलिवोसिस बीमारी कहा जाता है। परिवारीजनों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है।
बताया गया कि नितिन को यह हल्का मिलवैकी ब्रेश पहनाने के बाद जब एक्स-रे करवाया गया तो रीढ़ की हड्डी 15 से 18 डिग्री सीधी हो गई। पहले दिन ही इसका अच्छा परिणाम देखने को मिला।
लागत महज 15 सौ रुपए
लिंब सेंटर के कार्यशाला प्रभारी अरविंद कुमार निगम ने बताया कि मिलवैकी ब्रेश को बनाने में लिंब सेंटर के टेक्नीशियन विवेक श्रीवास्तव व आबिद अली की अहम भूमिका रही। बताया कि मिलवैकी ब्रेश 300 ग्राम का बनाया गया है, जिसकी लागत महज 15 सौ रुपए है। जबकि इससे पूर्व इसी तरह के उपकरण का वजन 800 ग्राम और बाजार में 10 हजार रुपए कीमत है। यह उपकरण पॉली प्रॉपलीन सीट और एल्यूमिनियम से बनाया गया है।