लखनऊ। हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं के लिए झलकारी बाई अस्पताल में कोई अलग से वार्ड नहीं है। ऐसे में महिलाओं को सामान्य वार्ड में ही रखा जाता है। आंकडों पर गौर करें तो रोजाना 20 से 25 गर्भवती महिला मरीज हाई रिस्क अवस्था में भर्ती की जाती हैं।
क्वीनमेरी में रोजाना 60 से 70 महिलाएं ऐसी होती हैं जिन्हें हाई रिस्क वार्ड में रखा जाता है। वहीं डफरिन में हाई रिस्क की श्रेणी में 30 से 50 मरीज रोज आते हैं।
ये हैं हाई रिस्क मरीज
ऐसे जिन्हें गर्भावस्था के दौरान किसी बीमारी के चलते या स्वास्थ्य संबंधी समस्या का सामना करना पड़ता है। सभी महिला अस्पतालों में ऐसे मरीजों की संख्या कई गुना है। विशेषज्ञों का मानना है कि गर्भावस्था के दौरान हाई रिस्क है तो उस पर विशेष ध्यान देना चाहिए। हाई रिस्क मरीजों की बढ़ोत्तरी से मातृ-शिशु मृत्युदर भी बढऩे की आशंका रहती है।
यह होता है
महिला अस्पतालों में हाई रिस्क की श्रेणी में वे महिलाएं आती हैं, जिन्हें गर्भावस्था के दौरान ऑपरेशन करवाना पड़ता है। जुड़वा बच्चे होने पर, खून की कमी, मधुमेह, एनीमिया की शिकायत, उच्च रक्तचाप, अविकसित भ्रूण आदि प्रमुख हैं।
झलकारी बाई अस्पताल की डॉ. उर्मिला ने बताया कि हाई रिस्क से बचने के लिए महिलाओं को साफ-सफाई पर ध्यान देना चाहिए, जिससे संक्रमण का खतरा कम रहे और साथ ही रोजाना सेहतमंद आहार का सेवन और व्यायाम करने से जच्चा-बच्चा सुरक्षित रहते हैं।