लखनऊ। झलकारी बाई अस्पताल में चल रहे कायाकल्प योजना के तहत निरीक्षण में एसजीपीजीआई के प्रबंधन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. राजेश हर्षवर्धन ने बड़ी बात कही है। निरीक्षण के दौरान उन्होंने कहा कि मरीजों को रेफर करने के लिए दो अस्पतालों के बीच करारनामा का प्रावधान होना चाहिए। इसके पीछे कारण यह है कि रेफर किए गए अस्पताल में बेड संख्या जाने बिना नए मरीज को भर्ती नहीं किया जा सकता इसलिए दो अस्पतालों के बीच पहले से ही समझौता तय होना जरूरी है।
जगह कम, प्रसव कराने में परेशानी
जिससे कि सभी मरीजों को समान स्तर पर इलाज मुहिया करवाया जा सके। वहीं झलकारीबाई अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षिका डॉ. सुधा वर्मा ने कहा कि निरीक्षण में अस्पताल की फाइल जांची गई, पिछले साल की तरह इस बार भी हमें कायाकल्प में अच्छे अंक मिलने की उम्मीद है। निरीक्षण के दूसरे दिन मूल्यांकन टीम ने लेबर रूम, ओटी, ओपीडी की जांच की। डॉ. राजेश ने बताया कि अस्पताल के लेबर रूम में तीन लेबर टेबल हैं, यहां जगह कम होने से प्रसव कराने में परेशानी होती है।
मरीजों को बैठने की जगह नहीं
वहीं ओपीडी में भी जगह की कमी के कारण मरीजों को बैठने की जगह नहीं मिल पाती। शहर के बीच में स्थित झलकारीबाई में मरीजों की संख्या हर दिन 250 से 300 के बीच होती है। वहीं हर दिन यहां 20 प्रसव होते हैं ऐसे में जगह एक बड़ा मुद्दा है, पुरानी इमारत होने के कारण तल भी बढ़ाए नहीं जा सकते। कायाकल्प मूल्यांकन की रिपोर्ट भेज दी गई है, अस्पताल में साफ-सफाई के स्तर पर बेहतर परिणाम देखने को मिले हैं।