लखनऊ। इस साल के 9 अगस्त तक जेई और एईएस के अब तक 27 केस सामने आए हैं। इसे और काबू करने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। यह बात चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने शुक्रवार को यूपी हेल्थ समिट 2019 को संबोधित करते हुए कही। गौरतलब है कि साल 2018 में जेई और एईएस से 250 बच्चों की मौत हुई थी।
बिडिंग के जरिये 800 विशेषज्ञ की भर्ती
मंत्री ने बताया कि डॉक्टर्स की कमी को दूर करने के लिए आयुष को एलोपैथ इलाज की अनुमति देना अच्छा साबित हुआ। यूपी में डॉक्टर्स की पहले जहां 7500 कमी थी वहीं अब सिर्फ 2200 की कमी रह गई है। इसके लिए बिडिंग के जरिये 800 विशेषज्ञ की भर्ती की। इसके साथ 2800 आयुष चिकित्सकों को पीएचसी पर तैनात किया। उन्होंने हेल्थ सेक्टर की कंपनियों से अपील की है कि यूपी में निवेश की अपार संभावनाएं हैं। द्वितीय श्रेणी के शहरों के सीएचसी पर पीपीपी माडल पर निवेश करें।
सीएसआर के तहत करें सहयोग
मुख्य सचिव अनूप चंद्र पांडे ने कहा कि यदि जन्म से सही पोषण की व्यवस्था मिलेगी तो अधिकांश लोगों को इलाज की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी। इसके लिए निजी कंपनियों को सीएसआर के तहत सहयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पूर्वांचल में जेई और एईएस के मरीजों की संख्या घटी जो कि सभी के योगदान से ही संभव हो सका।
जीनोमिक्स, रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक से होना होगा लैस
बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन के डॉक्टर देवेंद्र खण्डैत ने कहा कि यूपी की स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारने के लिए भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुये व्यावहारिक योजना बनानी होगी। डॉक्टर राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के प्रमुख डॉक्टर एके त्रिपाठी ने कहा जीनोमिक्स, रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक से लैस होना होगा। ताकि हम कम समय में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं दे सकें। इस अवसर पर मेडिकल एसोसिएशन, निजी अस्पतालों और स्वास्थ्य क्षेत्र में कार्य करने वाली संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित थे।