लखनऊ। राजधानी में अवैध रूप से चल रहे अस्पताल और झोलाछापों पर कार्रवाई के नाम पर हीलाहवाली हो रही है। इसका ताजा उदाहरण जांच के लिए सीएमओ द्वारा गठित टीम ने किया है। कार्रवाई के नाम पर जांच टीम फिसड्डी साबित हुई है। गौरतलब है कि स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव के निर्देश पर सीएमओ नरेंद्र अग्रवाल ने झोलाछाप और अवैध रूप से चल रहे अस्पतालों, क्लीनिकों की जांच के लिए टीम गठित की थी।
सीएमओ को अपनी रिपोर्ट नहीं दी
इस टीम को सीएमओ ने नौ सितंबर तक क्षेत्रवार जांच कर रिपोर्ट सौंपने को कहा था, जिसे शासन में भेजना था। इसमें 12 टीमें बनाई गई थीं लेकिन बुधवार तक इन टीमों में से किसी ने भी सीएमओ को अपनी रिपोर्ट नहीं दी। सभी अफसर जांच रिपोर्ट दबाए बैठे हैं। यह हाल तब है कि जब प्रमुख सचिव ने कोर्ट के आदेश पर जांच रिपोर्ट देने की तारीख मुकर्रर कर दी थी।
12 टीम के जिम्मे जांच की जिम्मेदारी
सीएमओ डॉ. नरेंद्र अग्रवाल ने बताया कि शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र तक की जिम्मेदारी गठित की गई 12 टीमों के अफसरों को सौंपी गई थी। उन्हें नौ सितंबर तक रिपोर्ट देने को कहा गया था, लेकिन बीकेटी और इटौंजा क्षेत्र के एसीएमओ डॉ. डीके बाजपेयी की ही जांच रिपोर्ट समय पर मिल सकी है। उसके अलावा किसी अफसर ने रिपोर्ट नहीं दी है। सभी को रिमांडर भी दिया गया है।
क्लीनिक संचालक और झोलाछाप ताला लगाकर भागे
सीएमओ की ओर से छापे के निर्देश जारी करने की सूचना पर ग्रामीण व शहरी क्षेत्र के अवैध अस्पताल, क्लीनिक संचालक और झोलाछाप ताला लगाकर भाग गए। जानकारों की मानें तो दो दिन तक गोसाईंगंज, माल, मलिहाबाद, मोहनलालगंज, काकोरी, नगराम, सरोजनी नगर, बीकेटी, इटौंजा, माल, रहीमाबाद समेत शहर में चौक, बाजारखाला, पारा, दुबग्गा, अर्जुनगंज, चिनहट, कुर्सी रोड आदि इलाकों में क्लीनिक, अस्पताल पर ताला लगा रहा।